विश्वास की डोर पर टिकता है रिश्ता, भूलकर भी ऐसा न करें जो . . . . .

विश्वास की डोर पर टिकता है रिश्ता, भूलकर भी ऐसा न करें जो . . . . .

रिश्ता . . . एक ऐसा शब्द जिसे कभी कोई परिभाषित नहीं कर सकता। रिश्ता सिर्फ खून का ही नहीं होता है। रिश्ता कई प्रकार का हो सकता है। किसी भी रिश्ते को निभाना आसान नहीं होता। चाहे वह करीब का हो, दूर का हो या फिर प्रेमी प्रेमिका का हो। बचपन से सुनते आए हैं कि रिश्तों की डोर नाजुक होती है, एक बार यह टूट जाए तो फिर जुडऩा मुश्किल होता है। इस बात का अहसास जिन्दगी के 50 साल गुजर जाने के बाद हुआ। जब मैं स्वयं अपने भाई-बहनों, ससुराल यहाँ तक कि अपनी पत्नी से अपना रिश्ता नहीं निभा सका। पिछले 8 साल से एकाकी जीवन बिताते हुए परेशान हो गया हूँ। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने रिश्तों को अच्छी तरह से निभाएं और संभालें। यह बात लौंग डिसटेन्स रिलेशनशिप में और भी ज्यादा जरूरी हो जाती है।

समर्पण देगा मजबूती
रिश्ता चाहें कैसा भी हो यह दो चीजों से मजबूत हो सकता है और वो हैं आपसी बातचीत और एक-दूसरे के लिए समर्पण। अगर इन दो चीजों का तालमेल अच्छा है तो पास और दूर दोनों प्रकार के रिश्ते अच्छे तरीके से निभाए जा सकते हैं।

टाइम मैनेजमेंट
रिलेशन में समय देने से ही कोई रिश्ता आगे बढ़ता है और उसे अच्छे से समझने में मदद मिलती है। हमेशा अपने समय का बेहतर उपयोग करें, शेड्यूल बनाएं और उसका पालन कीजिए। हर कोई अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी की जरूरतों को जानता-पहचानता है, आपको बस इतना करना है कि इसे अपनी समय सारिणी में सही तरीके से समायोजित करें। ऑफिस में दोस्तों के साथ मीटिंग्स के साथ-साथ अपने प्यार को भी समय दीजिए।

मेच्योर और समझदार बनिए
आप दोनों को यह समझना होगा कि आप दोनों की लाइफ एक-दूसरे से अलग है। आप दोनों लोगों से मिलेंगे और नए दोस्त भी बनाएंगे इसलिए आप चिपकू या ईष्र्यालु मत बनिए। इस चीज को भी स्वीकार कीजिए कि कभी-कभी आपका साथी आपके बिना भी खुश रह सकता है। इसका मतलब यह नहीं है कि उन्होंने आपको बदल दिया है या आप से ऊब गए हैं।

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