पहले प्यार का पहला कदम पहली बार
प्रेम को तो ऋषि मुनियों ने भी पवित्र माना है, दैहिक आकर्षण तो एक प्राकृतिक लक्षण है जिससे कोई भी परे नहीं रह पाया है, हमारे समाज में कुछ नियमों को संस्कार का रूप दिया है जिसे कई बार युवा वर्ग अपनाने से मना कर देते हैं इसका मतलब ये नहीं को वो सिर्फ आपसे शारीरिक आकर्षण से जुडा हैं यदि आप इन नियमों का पालन करना चाहती हैं तो आप पर निर्भर करता हैं कि नाराज होने या उसका तिरस्कार करने की बजाय प्रेम से समझा पाती हैं या नहीं, दैहिक संबंध से परे एक और चीज बहुत महत्वपूर्ण होती है वो है स्पर्श जो उसे प्रियतमा के दैहिक आकर्षण से परे अपनत्व का एहसास दिलाएगा।