आने को है, तीज का त्यौहार

आने को है, तीज का त्यौहार

खास आपके लिए व्रत की विधि, ताकि मिल सके धन संपत्ति अपार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज कहते हैं। उत्तरभारत में यह हरियाली तीज के नाम से भी जानी जाती है। तीज का त्यौहार मुख्यतय: महिलाएं का त्यौहार है। इस समय जब प्रकृति चारों तरफ हरियाली की चादर सी बिछा देती है तो प्रकृति की इस छटा को देखकर मन मयूर पुलकित होकर नाच उठता है और जगह-जगह झूले प़डते हैं। इस त्यौहार में महिलाएं गीत गाती हैं और झूला झूलती हैं।
तीज सावन (जुलाई-अगस्त) के महीने में शुक्लपक्ष के तीसरे दिन मनाई जाती है। श्रावण शुक्ल तृतीया (तीज) के दिन भगवती पार्वती सौ वषों की तपस्या साधना के बाद भगवान शिव से मिली थीं। इस दिन मां पार्वती की पूजा की जाती है। विधि -इस दिन महिलाएं निर्जल रहकर व्रत करती है। इस दिन भगवान शंकर-पार्वती का बालू की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है। अपने घर को साफ-स्वच्छ कर तोरण-मंडप आदि से सजाया जाता है, एक पवित्र चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सखी की आकृति (प्रतिमा) बनाएं।
प्रतिमाएं बनाते समय भगवान का स्मरण करें। देवताओं का आह्वान कर षोडशोपचार पूजन करें। इस व्रत का पूजन रात्रि भर चलता है। इस दौरान महिलाएं जागरण करती हैं, और कथा-पूजन के साथ कीर्तन करती हैं। प्रत्येक प्रहर में भगवान सदाशिव को सभी प्रकार की वनस्पतियां जैसे बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केव़डा अर्पण किया जाता है। आरती और स्तोत्र द्वारा आराधना की जाती है। भगवती-उमा की अर्चना के लिए निम्न मंत्रों का प्रयोग होता है-
ऊँ उमायै नम:,ऊँ पार्वत्यै नम:, ऊँ जगद्धात्र्यै नम:, ऊँ जगत्प्रतिष्ठायै नम:, ऊँ शांतिरूपिण्यै नम:, ऊँ शिवायै नम:।
भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करें-ऊँ हराय नम:, ऊँ महेश्वराय नम:, ऊँ शम्भवे नम:, ऊँ शूलपाणये नम:, ऊँ पिनाकवृषे नम:, ऊँ शिवाय नम:, ऊँ पशुपतये नम:, ऊँ महादेवाय नम:।