गुनाहों से तौबा और बरकात की रात है शबे रात

गुनाहों से तौबा और बरकात की रात है शबे रात

पन्द्रह शाबान को लाग शबे-बारात मान कर जगह-जगह, चौराहों,, गली-कूचों में मजलिसें जमातें और झूठी रिवायात ब्यान करके पन्द्रह शअबान की बडी अहमियत और फजीलत बताते हैं।

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