गुनाहों से तौबा और बरकात की रात है शबे रात
रहमतों के महीने रमजान से पहले मगफेरत का महीना शाबान आता है, जिसे रसूल अकरम ने गुनाहों को मिटाने वाला महीना करार दिया है। इस शाबान के महीने में एक रात ऐसी भी आती है, जिसमें अल्लाह अपने गुनहगार बन्दों की दुआओं को सुनता है और उन लोगों को जहन्नुम से निजात देता है। उस रात अल्लाह की रहमत जोश में होती है और वह पुकार-पुकार कर मगफेरत की चाहत रखने वालों को अपने हुजूर में तौबा करने की इजाजत देता है और फिर उनकी दुआएं कुबूल करता है। फजीलत और बरकत वाली यह रात शबे बरात मुस्लिम कैलेंड के आठवें महीने शाबान की चौदहवीं रात तारीख के मगरीब के वक्त शुरू होकर सुबह सूरज निकले तक जारी रहती है।