स्मार्ट शॉपिंग आइडियाज
जो लोग बिना सोचे-समझे खरीददारी करते हैं, उनके साथ अक्सर ऎसा होता है कि वे खरीददारी करके जब घर लौटते हैं, तो उन्हें खरीदी गई चीजों को देखकर पछतावा होता है, क्योंकि उनमें से ज्यादातर सामान या तो उनके पास पहले से ही होता है या फिर उन्हें उस सामान की जरूरत नहीं होती है। ऎसे में सबसे जरूरी है कि समझदारी से शॉपिंग करें। जब भी बाजार जाएं, तो जरूरत का सामान ही लें। ऎसा नहीं कि जो दिख गया और पसंद आ गया, उसे लेते चले जाएं। बाद में पता चलता है, जो जरूरत का सामान था, वह तो लिया ही नहीं और आपकी जेब भी खाली हो गई। जो सामान घर मे पहले से मौजूद है, उसी की खरीददारी करना एक तरह से बेवकूफी है।
जो कपडे आप पर फबते नहीं, उनकी खरीददारी करना भी पैसे की बरबादी है। ऎसे में जरूरी है प्लान करके शॉपिंग करना। बजट बनाएं गृहिणी कहती है कि हम अपने बजट के अनुसार खरीददारी के सामान की लिस्ट बनाते हैं, ताकि बाजार से लौटकर यह न कहना पडे कि अरे, अमुक सामान तो भूल ही गए। लिस्ट में एक सुविधा यह होती है कि आप पहले ही एक अनुमान लगा सकते है कि कितने पैसे में आपका सामान आ जाएगा। अगर बजट से ज्यादा का सामान हो रहा है, तो अनुपयोगी सामान हटाकर उस लिस्ट को अपने बजट तक सीमित कर लेते हैं, जिससे बाजार में बिना परेशानी के बेहिचक खरीददारी की जा सकती है। गुणवत्ता जरूरी है शिक्षिका कहती है कि किसी भी कंपनी के बंराड से उसकी गुणवत्ता का पता चल जाता है। सस्ते के चक्कर में अक्सर लोग छोटी दुकानों से या सडक के किनारे लगी सेल से कपडे चप्पल या अन्य सामान खरीद लेते है, लेकिन ऎसा करने से पहले आप किसी दूसरी दुकान में उस सामान का दाम जरूर पूछ लें।
फिर यह देखें कि दोंनो के दाम और क्वालिटी में कितना अंतर आ रहा है, क्योंकि बडी-बडी कंपनियों के दाम फिक्स होती है, इसलिए जब वे सेले लगाते है,तो कुछ प्रतिशत की छूट देते है, मगर ज्यादातर देखा गया है कि आप दुकानदार पहले से ही दाम बढाकर रखते हैं और सेल में छूट के नाम पर वही दाम रखते हैं, जो किसी दुकान में फ्रेश सामान का होता है। ऎसी जगहों से खरीददारी कर हम बेवकूफ बन जाते हैं। एक्सपायरी डेट पर ध्यान दें खरीददारी करते समय कि सी उत्पाद के निर्माण एवं समाçप्त की तारीख पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए, क्योंकि जिस उत्पाद की समाçप्त की तारीख बदल चुकी है, वह उत्पाद बेकार हो जाता है और उसे खरीदने से कोई फायदा नहीं। हममें से ज्यादातर किसी बडी दुकान या मॉल से सामान खरीदते वक्त इस बात को यह सोचकर नजरअंदाज कर देते है कि यहां का सामान तो बढिया ही होगा। मोलभाव की कला जानें खरीददारी में मोलभाव बहुत मायने रखता है। जो लोग मोलभाव करने की कला जानते हैं, वे कभी नहीं ठगे जाते।
रिटेलर अपनी मर्जी से दाम रखते हैं, जिस पर उनका अच्छा-खासा लाभ होता है। टीवी पर इस संबंध में सरकारी विज्ञापन भी दिखाए जाते हैं, जिसमें ग्राहकों को पैक पर दी हुई फिक्स प्राइज में भी मोलभाव करने के लिए जागरूक किया जाता है। रसीद/ बिल जरूर लें कोई भी सामान खरीदें तो उसकी रसीद या बिल जरूर लें, ताकि सामान खराब निकलने पर उसे आसानी से वापिस कर सके। खरीददारी भी एक कला है आज स्मार्ट कंज्यूमर वहीं माना जाता है,जो अपने पैसे की पूरी कीमत वसूलता है। वास्तव में खरीददारी के समय इस्तेमाल में लाई जानेवाली मोलभाव की कला आपकी मेहनत की कमाई को बर्बाद होने से बचाकर आपकी बचत को बढा सकती है। अगर आप मोलभाव की कला में माहिर नहीं है,तो हम आपको कुछ टिप्स दे रहे है,जिन्हें अपनाकर आप स्मार्ट कंज्यूमर बन सकते है।
- सबसे पहली बात आप यह जान लें कि हर दुकानदार की पूरी कोशिश रहती है कि वह अपने माल को ज्यादा से ज्यादा कीमत पर बेचे। अगर दुकानदार ऎसा सोचता है,तो आप भी अपनी मेहनत की कमाई की पूरी कीमत वसूलने का हक रखते है। कहने का तात्पर्य यही है कि आप मोलभाव या सौदेबाजी के काम को कभी भी कम दर्जे का काम न समझें।
- खरीददारी करते समय आप विक्रेता को इस बात का एहसास न होने दे कि आप जो खरीदने जा रहे है,उसकी कीमत से आप अंजान है तथा इसके बिना आपका काम नहीं चल सकता ।
- अपने स्वभाव से विनम्र और सुदृढं नजर आएं। वस्तु के प्रति अधिक दिलचस्पी या तीव्र इच्छा न जताएं।
- खरीददारी करते समय दुकानदार से उसकी बोली में बातचीत करना आपको काफी फायदा पहुंचा सकता है,क्योंकि इससे आप दुकानदार से अपनेपन का एक रिश्ता कायम कर लेते है।
- मोलभाव की एक पुरानी शैली है-सामान में खोट निकालना,लेकिन यह तरीका ठीक नहीं है। बेहतर होगा कि आप वस्तु की अन्य ब्रांड से तुलना करते हुए दुकानदार को यह कहकर आश्वस्त कीजिए कि आपने उसकी जो कीमत लगाई है,वो बिल्कुल सही है।
- जब आपको लगे कि दुकानदार अपनी अंतिम सीमा तक भाव कर चुका है और आप उस वस्तु को खरीदने का इरादा कर चुके है,तो आप उसे अपने दाम के बारें में बताएं। अपना दाम बताने के बाद चुप्पी साध लीजिए और दुकानदार की ओर विचारपूर्ण मुद्रा में देखना शुरू कर दीजिए।
- यदि कोई बात न बने,तो आप ऎसे जाहिर कीजिए जैसे उस चीज की आपको जरूरत ही नहीं थी। इसके बाद आप टहलनेवाले अंदाज मे आगे बढ जाइए। हो सकता है,तभी दुकानदार आपको आपकी कही कीमत पर सामन देने के लिए आवाज दे दे ।
- मोलभाव करने में नकद राशि बहुत बडा हथियार साबित होती है। सामान खरीदने के बाद आप जितनी राशि दुकानदार को देना चाहते है,उतनी ही देकर देखें। देखा गया है कि ऎसे मामलों में दुकानदार थोडी ना-नुकर के बाद अपने आप मान जाते है।
- एक बात का ध्यान आप खासतौर पर रखें,सौदेबाजी करते समय आप चीजों की कीमतें उतनी ही लगाएं,जितनी जायज हो । ऎसा न हो कि आप वहां खडे अन्य ग्राहकों व दुकानदार की नजरों में मजाक का पात्र बन जाएं।
- किसी डिपार्टमेंटल स्टोर मे आप मोलभाव से बचें,क्योंकि वहां के दाम निश्चित होते है।
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