दिवाली पर पटाखों से सेहत को यूं बचाएं
नई दिल्ली। दिवाली में पटाखों की धूम नहीं हो तो शायद कुछ कमी सी लगती है,
लेकिन अगर पटाखें हमारे स्वास्थ्य को नुकसान व पर्यावरण को हानि पहुंचा रहे
हैं तो हमें इनके इस्तेमाल के बारे में सही से सोचने की जरूरत है।
सर्वोच्च
न्यायालय ने अपने हाल के फैसले में पटाखों का प्रयोग करने की इजाजत दिवाली
की रात आठ से 10 बजे के बीच दे दी। इस दौरान दिल्ली व दूसरे महानगरों में
प्रदूषण का स्तर निश्चित ही बढ़ा रहेगा। दिवाली की धूम-धड़ाम के बीच
स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से अपने को किस तरह से बचें व पटाखों से किस
तरह बुजुर्ग व बीमार लोग अपनी स्वास्थ्य की देखभाल करें।
जेपी
हॉस्पिटल के पल्मोनरी व क्रिटिकल केयर मेडिसिन के वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉ.
ज्ञानेंद्र अग्रवाल ने यह पूछने पर कि दमा के मरीज या आम व्यक्तियों पर
पटाखों के धुएं का असर कैसे होता है? डॉ. अग्रवाल ने कहा कि रोशनी का
त्योहार दिवाली अपने साथ बहुत सारी खुशियां लेकर आता है, लेकिन दमा,
सीओपीडी या एलर्जिक रहाइनिटिस से पीडि़त मरीजों की समस्या इन दिनों बढ़
जाती है। पटाखों में मौजूद छोटे कण सेहत पर बुरा असर डालते हैं, जिसका असर
फेफड़ों पर पड़ता है।
इस तरह से पटाखों के धुंए से फेफड़ों में
सूजन आ सकती है, जिससे फेफड़े अपना काम ठीक से नहीं कर पाते और हालात यहां
तक भी पहुंच सकते हैं कि ऑर्गेन फेलियर और मौत तक हो सकती है। ऐसे में धुएं
से बचने की कोशिश करें।
डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि पटाखों के धुएं की
वजह से अस्थमा या दमा का अटैक आ सकता है। हानिकारक विषाक्त कणों के
फेफड़ों में पहुंचने से ऐसा हो सकता है, जिससे व्यक्ति को जान का खतरा भी
हो सकता है। ऐसे में जिन लोगों को सांस की समस्याएं हों, उन्हें अपने आप को
प्रदूषित हवा से बचा कर रखना चाहिए।
पटाखों के धुएं से हार्टअटैक
और स्ट्रोक का खतरा भी पैदा हो सकता है। पटाखों में मौजूद लैड सेहत के लिए
खतरनाक है, इसके कारण हार्टअटैक और स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है। जब
पटाखों से निकलने वाला धुंआ सांस के साथ शरीर में जाता है तो खून के प्रवाह
में रुकावट आने लगती है। दिमाग को पर्याप्त मात्रा में खून न पहुंचने के
कारण व्यक्ति स्ट्रोक का शिकार हो सकता है।