रुद्राभिषेक शिव शम्भू को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है...
सावन का महीना शुरू हो चुका है। यह महीना देवो के देव महादेव कहे जाने वाले भगवान शिव का प्रिय महीना है। सावन का सोमवार शिवजी की उपासना के लिए बहुत ही फलदायी है। ऐसे में भगवान शिव को खुश करने के लिए उनके भक्त मंदिरों में पूरे महीने पूजा-अर्चना करेंगे। लेकिन क्या आप जानते है भगवान शिव की पूजा में रुद्राभिषेक का अपना महत्व है। भगवान शंकर की कृपा के बिना किसी भी देवी देवता की पूजा फलित नहीं होती है।
रुद्राभिषेक शिव शम्भू को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है। रुद्राभिषेक शिव मंदिर या घर में पार्थिव बनाकर कर सकते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
ज्योतिषों के अनुसार, सावन माह में पड़ने वाले चारों सोमवार को पूजा-पाठ और रुद्राभिषेक से विशेष लाभ मिलता है। इसके अलावा नागपंचमी पर कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए सावन माह सबसे उत्तम माना गया है।
सावन मास में सोमवार का विशेष महत्व है। शिव महापुराण के अनुसार शिव की उपासना और व्रतधारी को ब्रह्मा मुहूर्त में उठकर पानी में कुछ काले तिल डालकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव का अभिषेक जल/गंगाजल से करें। सावन के महीने का 15 अगस्त को अंतिम दिन होगा।
हमारे शास्त्रों में विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक के पूजन के निमित्त अनेक द्रव्यों तथा पूजन सामग्री को बताया गया है। साधक रुद्राभिषेक पूजन विभिन्न विधि से तथा विविध मनोरथ को लेकर करते हैं। किसी खास मनोरथ की पूर्ति के लिए तदनुसार पूजन सामग्री तथा विधि से रुद्राभिषेक किया जाता है। दरअसल, रुद्र भगवान शिव का एक प्रसिद्ध नाम है।
रुद्राभिषेक में शिवलिंग को पवित्र स्नान कराकर पूजा और अर्चना की जाती है। यह हिंदू धर्म में पूजा के सबसे शक्तिशाली रूपों में से एक है और माना जाता है कि इससे भक्तों को समृद्धि और शांति के साथ आशीर्वाद मिलता और कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।
रुद्राभिषेक शिवरात्रि माह में किया जाता है। हालांकि, श्रावण (जुलाई-अगस्त) का कोई भी दिन रूद्राभिषेक के लिए आदर्श रूप से अनुकूल हैं। इस पूजा का सार यजुर्वेद से श्री रुद्रम के पवित्र मंत्र का जाप और शिवलिंग को कई सामग्रियों से पवित्र स्नान देना है जिसमें पंचमृत या फल शहद आदि शामिल हैं।
विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सबको मिलाकर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है। तंत्रों में रोग निवारण हेतु अन्य विभिन्न वस्तुओं से भी अभिषेक करने का विधान है। इस प्रकार विविध द्रव्यों से शिवलिंग का विधिवत अभिषेक करने पर अभीष्ट कामना की पूर्ति होती है।
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