कुछ तुम कहो कुछ हम कहें

कुछ तुम कहो कुछ हम कहें

रिश्ता चाहे मातापिता का हो, या फिर पतिपत्नी, दोस्ती का हो, विवाद जब मौन बन कर पसर जाता है, तो उसे संबंधों में कडवाहट जरूर आती है, जिसे समय रहते दूर कर लिया जाए तो परिवार के बिखराव का डर नहीं रहता। जब पतिपत्नी में से एक शांत और दूसरा तेज स्वभाव वाला हो तो दोनों के बीच संतुलन बना रह सकता है। पर जब दोनों ही स्वभाव से तेज व गुस्से वाले हों तो वैचारिक टकराव के साथ-साथ शाब्दिक टकाराव भी उठ खडा होता है। कई बार ऎसी टकराहट चुप्पी की रूपरेखा तैयार करती जाती है।
चुप्पी साधने का कारण
आमतौर पर पतिपत्नी के बीच निमA बातें चुप्पी साधने का कारण बनती हैं। एकदूसरे के परिवार के सदस्यों के विरोध में बोलना। अक्सर पतिपत्नी आपसी मनमुटाव का शिकार एकदूसरे के परिवार के सदस्यों को बनाते हैं। पतिपत्नी के बीच अहं भाव का आना, जो स्वाभिमान की सीमा लांघ कर अहंकार बन जाता है। सार्वजनिक रूप से पति या पत्नी का दूसरे का अपमान करना। पतिपत्नी का एकदूसरे के उन मित्रों को ले कर विवाद, जो समयअसमसय पारिवारिक माहौल को खराब कर देते हैं, जिन्हें पतिपत्नी एकदूसरे से ज्यादा तरजीह देते हैं। पतिपत्नी का एकदूसरे पर साधिकार निर्णय थोपने का प्रयास, जबकि हर इंसान की अपने लिए खुलेपन की इच्छा होती है। ऎसा ना हो पतिपत्नी के संबंधों में झगडे के कारणों को प्रयत्न कर के दूर किया जा सकता है। झगडों से छाई चुप्पी संबंधों की दरार को खाई की शक्ल दे देती है, जो परिवार के बिखराव का कारण बन जाती है, ऎसा ना हो इसके लिए इन बातों पर ध्यान दें। जब पतिपत्नी झगडें तो अपने बीच चुप्पी ना छाने दें। यदि चुप्पी आ भी गई है, तो उसे लम्बी खिंचती देख कर तोडने की पहल करें। पतिपत्नी के संबंधों में स्वाभिमान हो पर अहंकार नहीं। ध्यान रखें कि बच्चो को चुप्पी तोडने का माध्यम बनाएं, बढाने का नहीं। यदि चुप्पी का कारण आप की मित्र मंडली है, जो आपके वैवाहिक जीवन में जहर घोल रही है, तो मित्रों को एक सीमा तक ही महत्त दें। संबंधों में एकरसता, बोझिलता ना आए, इसके लिए कुछ एकांत पल एकदूसरे को दें, जिमें एकदूसरे से शिकवेशिकायतें कर सकें या फिर कहीं पिकनिक पर जाएं। कई बार रोजमर्रा की छोटी-छोटीतकरारें भी गहरे विवाद का रूप ले चुप्पी का कारण बन जाती हैं, जिससे परिवार टूटने की कगार पर पहुंच जाता है। परिवार के टूटने का कारण कोई भी हो पर का खमियाजा बडों के साथ-साथ बच्चो को भी जिन्दगी भर भुगतना पडता है। दांपत्य संबंधों में विवाद से उपजी खामोशी तोड कर परिवार की इ”ात की रक्षा की जा सकती है। इस के लिए पहल किसी न किसी को करनी ही होगी ।