बच्चों में बिहेवियर संबंधी समस्याएं:
बच्चों में बिहेवियर संबंधी समस्याएं:- आज की इस भागती दौ़डती जिन्दगी में जहॉं सब कुछ बदल रहा है, वहॉं बच्चों के बिहेवियर में भी तेजी से बदलाव आ रहा है। आज 80-90 प्रतिशत बच्चों में मनमानी, क्रोध, जिद्धी और शैतानी जैसी अन्य कई हरकतो ने अपना घर बना लिया है। कम्प्यूटर-टीवी के चलन और एकाकी परिवारो की बढ़ती संख्या भी बच्चो की बदलती मानसिकता का ब़डा कारण है। इस व्यवहार वाले बच्चों को देखकर कोई कहता है कि "बहुत चंचल बच्चा है" कोई कहता है कि "जिद्धी और शैतान है"। नार्मल बच्चाो के बीच इनका व्यवहार स्वनार्मल ही दिखता है। ये बच्चो सबके बीच होकर भी अकेले ही होते है, वो बस अपने दम पर जीते है और अपने हिसाब से चलते है। इतनी सारी कमियो के बावजूद इनमें से ज्यादातार बच्चो बुद्धिमान और एक्टिव होते है अपने मूड मे आए तो सबको खूब हंसाते है। अधिकांश पेरेन्ट्स की यह परेशानी है कि वो केसे अपने बच्चो के बिहेवियर को नार्मल करे ताकि उन्हे दूसरो के सामने शार्मिन्दगी न महसूस करनी प़डे।
अधिकतर पेरेन्ट्स का मानना है कि यह मात्र बच्चो का मूड है, परन्तु सायकोलॉजिस्ट व सायकोथेरेपिस्ट के अनुसार ये मात्र इनका मूड नही है, इस प्रकार के व्यवहार वाले बच्चो अपने मनोवेग पर नियंत्रण कर पाने अथवा शब्दो द्वारा अपनी मन:स्थिति को अभिव्यक्ति करने में असमर्थ होते है। कई बच्चो मे फस्ट्रेशन या पराजय सहने या परिवर्तन के अनुकूल ढल जाने की क्षमता नही होती है इसलिए यह जल्दी परेशान हो जाते है उन्हें शांत और सहज कर पाना कठिन होता है और उनका बिहेवियर अनियंत्रित हो जाता है। दरअसल ऎसा व्यवहार इस समस्या का संकेत है कि ऊपरी तौर पर पूर्ण स्वस्थ दिखने वाला बच्चा मानसिक रूप से बेहद अशांत व अंसुलित है। इन बच्चाो का "डिफिक्लट चाइल्ड" या "हाइपर चाइल्ड" की संज्ञा दी जाती है। हाइपर चाइल्ड के व्यवहारिक लक्षण
- इन्हे जल्दी क्रोध आता है और गुस्से मे उनके हाथ-पैर चल जाते है।
- एक एक्टिविटी के बाद तुंरत दूसरी एक्टिविटी के लिए कठिनाई अनुभव करते है
- नींद भी ढंग से नही आती है
- एनर्जी लेवल बहुत हाई होता है
- ध्यान केंद्रित करके एक स्थान पर बैठना कठिन होता है
- बहुत मूडी होते है, कभी कभी खेल मे भी बहुत देर तक मन नही लगता है
- अनजाने ही घर या स्कूल के नियमों की अवहेलना करते है
- अन्य बच्चो को छे़डने व चिढ़ाने में बहुत आंनद अनुभव करते है
- किसी भी वस्तु को बिना अनुमति उठा लेना और उसे देखना इनके स्वभाव मे होता है।
- अक्सर अपनी गलतियो या असफलता के लिए दूसरो को दोष देते है।
- इन्हे जल्दी से सुलाना या उठाना पेरेन्ट्स के लिए काफी जज्दोजहद का कार्य होता है।
- मिलजुल कर खेलने के लिए हमेशा तैयार नही होते है।
- गलत भाषा या अनुचित शब्दो का प्रयोग कर सकते है
- इसके अतिरिक्त व्यक्तिगत तौर पर इनके साथ और भी अनेक नकारात्मक व्यहवहार या समस्यांए हो सकती है।
कैसा हो पैरेन्ट्स का व्यहार :- पैरेन्ट्स भी बच्चो के प्रति अपने क्रोध पर काबू नही रख पाते है क्रोध आना स्वाभाविक है परन्तु अपने व्यवहार को शांत रखने का प्रयास करें, बच्चो को तभी समझाएं जब आप शान्त व सहज हो जाएं वरना आपकी प्रतिक्रिया विपरीत प्रभाव डाल सकती है।
यदि वह काम को सही,तरीके से नही कर रहा हो तो डांटने या उसके काम मे नुक्स निकालने की बजाय उसे दूसरी दिशा दे ऎसे बच्चों के साथ पैरेन्ट्स को थो़डा फ्लेक्सिबल व विन्रम होना चाहिए। बच्चो के मन को महसूस करना चाहिए। ऎसे बच्चो के पालन पोषण में निpय ही बहुत ज्यादा सहनशीलता धैर्य, विनम्रता व लचीलेपन की जरूरत है। अपने प्रयत्नों को पूरी जिम्मेदारी व लग्न के साथ करते रहिए आपको जरूर सफलता हासिल होगी और आप अपने बच्चो को एक बेहतर व उज्जवल भविष्य दे पायेंगे।