जानें क्यूं हैं:सात फेरों के लिए शुभ मुहूर्त का महत्व
शादी हर किसी के
लिए जीवन का बहुत खूबसूरत लम्हा होता है शादियों में अनेक रस्मे होती है
जिनका एक निश्चित मुहूर्त स्थान, साथ ही कलश के सामन पति-पत्नी अग्नि के
सामन सात फेरे लेकर संकल्प करते हैं कि हमेशा एक-दूसरे के साथ बने रहेंगे।
विवाह मंडप में शादी के बंधन में बंध रहे जोडे के लिए सात फेरों के लिए शुभ
मुहुर्त का बडा महत्व है। शादी की तैयारियों, मेहमानों के स्वागत,
नाच-गाने की मौज-मस्ती में शुभ मुहुर्त की अहमियत को हम अकसर समझ नहीं पाते
हैं। पंडित जी वर-वधू के शुभ-अशुभ ग्रहों का मिलान करके ही विवाह का
मुहुर्त निकालते हैं। शुभ मुहुर्त में लिए गए सात फेरे व्यक्ति का
दुर्घटनाओं से बचाव करते हैं। विवाह के समय का निर्णय करने के लिए कुंडली
में विवाह संबंधित भाव व भावेश की स्थिति, विवाह का योग देने वाले ग्रहों
की दशा, अंतर्दशा तथा वर्तमान ग्रहों के गोचर की स्थित देखी जाती है।
ऐसी
मान्यता है कि शनि जो काल का प्रतीक है, समय का निर्णय करता है और
बृहस्पति विवाह के लिए आशीर्वाद देता है। इस प्रकार मंगल जो पौरुष, साहस व
पराक्रम का प्रतीक है, उसका भी विवाह संबंधित भाव व ग्रहों के ऊपर से विवाह
की तिथि की 6 मास की अवधि के गोचर में विचरण होना चाहिए अथवा गोचर से
दृष्टि होनी चाहिए। विवाह का समय निश्चित करने के लिए अष्टकवर्ग विधि का
प्रयोग किया जाता है।