पापा माई बेस्ट फे्र ड
आज के जमाने के पापा अपने बच्चो के साथ खेलने से लेकर पेरेंट-टीचर मीटिंग में जा रह हैं। बच्चों को बातों-बातों में दोस्तों के साथ डील करना और हल्के-फुल्के अंदाज में पढाई में मन लगाना सिखाते हैं। वे बच्चो के अच्छे दोस्त हैं। आज के डैडी बच्चो के काम पूरी दिलचस्पी से कर करने लगे हैं। मां नाश्ता बना रही है, तो वे बच्चो की मालिश करने और नहलाने की जिम्मेदारी उठा लेते हैं।बच्चो को होमवर्क कराना, उनके साथ खेलना पिताओं को बहुत पसंद आता है और इसे वे जिम्मेदारी की तरह लेने लगे हैं। वे जरूरत पडने पर मां भी बन जाते हैं।
वे बच्चो के साथ पूरी तरह पार्टी में शामिल होते हैं। वहां जो खेल बच्चो के बीच होते हैं, उसमें हिस्सा लेने के लिए अपने बच्चो को उत्साहित करते हैं।
जो पिता अपने बच्चो को नहलाते, उनके साथ खेलते और बातें शेअर करते हैं, वे सच में आज केजमाने के पिता हैं। बच्चो उनसे बहुत कुछ सीखते हैं, यह एक पॉजिटिव बदलाव है। ऎसी पार्टी में जाने से पहले पिता कतरा कर निकल जाते थे, पर अब बडी खुशी और उत्साह के साथ शामिल होते हैं।
उनके साथ एक बैग होता है, जिसमें छोटा तौलिया और बच्चो की एक्स्ट्रा व सैंडिल होते हैं। अब तो छोटे-छोटे बच्चो की बर्थडे पार्टी बडे स्तर पर आयोजित होती हैं, जहां उनके नन्हे-मुन्ने दोस्तों को आमंत्रित किया जाता है। ऎसे में माता या पिता मेंसे किसी को उनके साथ आना होता है, ताकि वे खाने-पीने, खेलने और जूते के लेस बांधने में बच्चो की मदद कर पाएं।
ऎसे पापाओं की कमी नहीं है, जिन्हें लगता हे कि ये सब उनके काम नहीं हैं। यहां हरकाम मम्मी के सिर आ जाता है। अगर आप भी ऎसे ही पुरातनपंथी पिता हैं, जिनको बच्चो से जुडे काम करना पत्नी की जिम्मेदारियां लगती हैं, तो बदलिए अपना नजरिया और खुद को भी।
बिजी पिता टाइम निकालें बच्चो के लिए
आजकल ऑफिस से समय निकालना मुश्किल होता है, खासकर तब जब डयूटी 12 घंटे की हो या घर ऑफिस से काफी दूर हो। ऎसे में बच्चो व परिवार के साथ वीकेंट पर घूमने जरूर निकलना चाहिए।, यदि यह सम्भव ना हो, तो जब कभी छुट्टी मिलती है, तो उसको स्कूल छोडने, पेरेंट-टीचर मीटिंग अटेंड करने चले जाएं। लंच उसी के साथ करें। यह वह समय है, जब आपके बच्चो के साथ संबंध प्रगाढ होते हैं। वे पिता सौभाग्यशाली होते हैं, जिनके बच्चो उनसे अपनी परेशानी शेअर करते हैं या प्यार से उनके गले लग जाते हैं। वे अपने मजेदार अनुभव अपने पिता के साथ बांट कर एंजॉय करते हैं।
बच्चो के दास्तों के दोस्त
अगर आप अपने बच्चो के दोस्तों से दोस्ती कर पाते हैं, तो आप एक सफल पिता हैं। इससे आपकी यह जानने का मौका मिलता है कि वह कैसे बच्चो के साथ रहता है, उनकी आदतें क्या हैं, बच्चो की दुनिया को जानने का एक मौका मिलता है। बच्चो को जानवरों को देखना बहुत भाता है। पिता बच्चो की इस भावना को समझते हुए कम से कम महीने में एक बार चिडयाघर ले जाते हैं। जानवरों की प्रजातियों के बारे में बताते हैं और बच्चा खेल-खेल में जानकारियों ग्रहण करता है। वे कहानी सुनाते समय वीडियो कैमरा या ऑडियो रेकॉर्डिग जारी रखते हैं। बाद में किसी दिन वीडियो या ऑडियो रेकॉडिंग को परिवार के साथ देखना-सुनना बच्चो के लिए यादगार अनुभव होता है।