अधिक उम्र में मां बनें लेकिन सावधानी के साथ

अधिक उम्र में मां बनें लेकिन सावधानी के साथ

कम या ज्यादा उम्र में मां बनना परेशानियों को न्योता देना है। ऎसे में गर्भवती को कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए। मां बनना किसी भी महिला के जीवन का बेहद सुखद अनुभव होता है। पल-पल गर्भ में पलता शिशु मां को गर्भवस्था से बच्चाा पैदा होेने तक का यह सफर कई परेशानियों से भी भरा होता है और उस पर गर्भावस्था कम उम्र की हो या ज्यादा की, तब कई समस्याओं का समाना करना प़ड सकता है। कम उम्र या ज्यादा उम्र में गर्भधारण करने पर क्या-क्या परेशानियां आती है, आइए जानते है कि इस बारे में कुछ स्त्री रोग विशषज्ञों की क्या राय है क् सही आयु गर्भधारण के लिए सर्वोत्तम आयु क्या मानी जाती हैक् स्त्री रोग विशेषज्ञों के अनुसार गभर्रधारण के लिए सर्वोत्तम आयु तो 18 से 25 साल है पर अगर कम आयु या अधिक आयु की गर्भावस्था हो तो डाक्टर और गर्भवती दोनों की जिम्मेदारियां बढ जाती है। हम तो हमेशा से सलाह देते आए हैं कि गर्भधारण से पूर्व भी डाक्टर की सलाह ले नेनी चाहिए। फिर भी हम योजनाबद्ध तरीके से चलते हैं। पहली बार मां बनने से स्त्री एकदम हतप्रभ सी रह जाती है, उस के जीवन का यह बदलाव ब़डा अजीब होता है। वह चिडचिडी हो जाती है। उधर उल्टियां अलग परेशानी का सब्ाब बन जाती हैं और शारीरिक बदलाव तो परेशान करते ही हैं पर मां बनने की खुशी तो सर्वोपरि ही होती है।
परेशानियां कम उम्र के गर्भधारण में किन-किन परेशानियों का सामना करना पड सकता हैक् कम उम्र के गर्भधारण में पेचीदगियां बहुत हो सकती हैं। मां का शारीरिक विकास पूरा नहीं होता है। हड्डियां भी मजबूत नहीं हो पाती। इससे बच्चो पर बुरा असर पड सकता है। सीजेरियन के चांसेज ज्यादा हो जाते हैं। इसके अलावा ब्लडप्रेशर भी बढ जाता है। एनीमिया यानी कुपोषण की बीमारी भी हो सकती है। इसके अलावा बच्चो की गा्रेथ पर असर पड सकता है, बच्चा छोटा हो सकता है। गर्भपात भी हो सकता है। बच्चो में और भी कई समस्याएं आ सकती है जिसे हम इंट्रा यूटेरीन ग्रोथ रिटार्डेशन कहते हैं, हो सकता है। साधारण शब्दों में कहें तो बच्चो और मां दोनों पर ही खराब असर पड सकता है। उम्र ज्यादा हो तो बडी उम्र में गर्भधारण करने से युवावस्था बरकरार रहती है, इस बारे में आप का क्या कहना हैक् बडी उम्र में गर्भधारण ढेर सारी समस्याओं को जन्म जरूर देता है। बडी उम्र में हड्डियों में इलास्टिसिटी कम हो जाती है इसलिए सीरेजियन की संभावना बढ जाती है, ब्लडप्रेशर बढ जाता है, डायबिटीज भी हो सकती है।
इसके अलावा बच्चाा मानसिक रूप से कमजोर पैदा हो सकता है। कई मामलों में बच्चाा मानसिक रोगी ही पैदा होता है। परेशानियां बहुत हो सकती हैं पर हर परेशानी का कोई हल भी तो होता है नक् उस के लिए डक्टर की सलाह ही काम देती है।
गर्भधारण चाहे कम उम्र हो या ज्यादा उम्र का या ठीक उम्र का, निदान तो डाक्टर ही करेगा, उसी के अनुसार गर्भवती को चलना चाहिए, अपने आप सब कुछ तय करना गलत हो सकता है। टेस्ट कौन-कौन से गर्भधारण करते ही किसी गर्भवती को क्या करना चाहिए और कौन से टेस्ट कराने चाहिएक् प्रथम बार मां बनने वाली महिलाओं को क्या सलाह हैक् गर्भधारण करते ही तुरंत डाक्टर के पास चले जाना चाहिए, हम तो गर्भя┐╜धारण से पूर्व ही प्लान करने की सलाह देते हैं। डाक्टर की सलाह से फोलिक एसिड खाना चाहिए, सारे टेस्ट कराने चाहिए, जिन में मुख्य हैं : थैलिसीमिया टेस्ट थायरायड टेस्ट जरमन मीजल्स का टेस्ट जिसका टीका उपलब्ध है। सामान्य निर्देश गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिला को कभी उपवास नहीं रखना चाहिए। तेज भूख लगने से पहले से कुछ खा लें। भोजन के साथ नहीं बल्कि 2 भोजनों के बीच तरल पदार्थ लेना अच्छा रहता है। उलटी, मतली या अन्य समस्याएं होने पर आहार में बदलाव किया जा सकता है। कार्बोनेट पेय, अल्कोहल, कैफीनयुक्त पेयों से परहेज बेहतर रहता है। बिना डाक्टर की सलाह कोइ दवा न लें। आपका ब्लडप्रेशर अधिक हो तो टेबल साल्ट (नमक), सॉल्टेड बटर, सूखा मेवा, मछली, चीज, पापड, अचार, प्रिजव्र्ड फूड आदि से परहेज ठीक रहता है। गर्भवती को अनुमति से अधिक अजीनोमोटो, सोडा या अन्य कोई प्रिजर्वेटिव फूड नहीं लेना चाहिए। डिलीवरी के समय अस्पताल जाते समय बहुत ज्यादा या गरिष्ठ भोजन नहीं करना चाहिए। लूज और आरामदायक वस्त्र पहनें। धूम्रपान नहीं करना चाहिए। इससे गर्भपात का खतरा बढ जाता है।