केवल 8 फीसदी भारतीय उत्पादों की ऑनलाइन खरीदारी करते हैं
नई दिल्ली। भारत का सोशल कॉमर्स सेक्टर जो आज 1.5 से 2 अरब डॉलर का ग्रॉस
मर्चेडाइज वैल्यू (जीएमवी) बाजार है, इसके केवल पांच वर्षो में 16 से 20
अरब डॉलर का बाजार बनने की संभावना है। 2030 तक राजस्व में 60 से 70 अरब
डॉलर तक की वृद्धि होगी। भारतीय ई-कॉमर्स --सस्ते डेटा, सप्लाई-साइड
इनोवेशंस और डिजिटल सेवी ग्राहकों के कारण वित्तीय वर्ष 2020 30 अरब डॉलर
का जीएमवी उद्योग बन गया है। इसके अलावा, भारत में वैश्विक स्तर पर दूसरे
सबसे ज्यादा 57.2 करोड़ कनेक्टेड यूजर्स हैं। हालांकि, हम ऑनलाइन कॉमर्स के
शुरुआती चरणों में हैं, केवल 8 प्रतिशत भारतीय (लगभग 10.5 करोड़) उत्पादों
की ऑनलाइन खरीदारी करते हैं, यह अन्य बाजारों की तुलना में बहुत कम है।
यह
एक नई रिपोर्ट द फ्यूचर ऑफ कॉमर्स इन इंडिया- द राइज ऑफ सोशल कॉमर्स के
अनुसार है, जिसे आज बैन एंड कंपनी द्वारा सिकोया इंडिया के साथ साझेदारी
में जारी किया गया।
संक्षेप में, भारत का सोशल कॉमर्स सेक्टर दस वर्षो के भीतर वर्तमान ई-कॉमर्स बाजार के आकार का दो गुना होगा।
रिपोर्ट
पर टिप्पणी करते हुए, बैन एंड कंपनी के एशिया-पैसिफिक टेक्नोलॉजी, वेक्टर
और एडवांस्ड एनालिटिक्स प्रैक्टिस के पार्टनर और लीडर अर्पण शेठ ने कहा, भारत में सोशल कॉमर्स भारत के ई-कॉमर्स सेक्टर को व्यापक बना रहा है और एक
मॉडल के लिए मार्ग प्रशस्त कर रहा है जो कि समुदाय, कनेक्शन और विश्वास पर
बनाया गया है। हालांकि पारंपरिक ई-कॉमर्स फलता-फूलता रहेगा, सोशल अगुवाई
वाले मॉडल भारतीय उपभोक्ताओं के लिए ई-कॉमर्स की पहुंच को व्यापक बनाएंगे।
सिकोया
कैपिटल इंडिया एलएलपी के वीपी श्रेयांश ठाकुर का मानना है कि ऑनलाइन
कॉमर्स का उदय अभी शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि सोशल कॉमर्स ऑनलाइन कॉमर्स
को लोकतांत्रिक बनाने, ब्रांडों, उपभोक्ताओं और छोटे व्यवसायों को सीधे
सोशल प्लेटफॉर्म के माध्यम से जोड़ने और आधुनिक उपभोक्ताओं से मिलने में
महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। (आईएएनएस)
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