ऑनलाइन बधाई देने की होड ने घटाई रिश्तों की लाइफलाइन

ऑनलाइन बधाई देने की होड ने घटाई रिश्तों की लाइफलाइन

आज की भागदौड भरी जिन्दगी में आत्मकेंद्रित होते जा रहे लोगों के लिये किसी शुभ मौके पर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को बधाई देना मात्र एक डयूटी ही तो बनकर रह गया है। उनके पास इतनी भी फुर्सत नहीं होती है कि मिलना तो दूर वे एक फोन कॉल कर अपनों को बधाई संदेश दे सकें। समय कीकिल्लत को महसूस करते हुए ऎसे में अपने फोन से एक बटन दबाते ही फेसबुक और टि्वटर जैसे सोशल साइट्स पर बधाई संदेश देना स्ट्टस सिंबल बिन चुका है। खुदा ना खास्ता अगर किसी ने सोशल साइटस पर आकाउंट नहीं खोला हुआ होता है तो ऎसे व्यक्ति हैप्पी दिवाली लिखकर साथ में एक राकेट की तस्वीर देखकर ऎसे बिदकते हैं जैसे राकेट सीधे उनके कपडों में आकर धस गया हो और देखते ही देखते तुंरत एक के बाद बम, अनार और फुलझडी के संग कई संदेश फटाफट वॉल पर लगने लगते हैं।
ऑनलाइन बधाई के चक्कर में लोग रिश्ते और त्यौहारों को महत्ता भी भूलते जा रहे हैं। माना समय की कमी और अलग-अलग जगहों में रहने के चलते लोग होली, दिवाली, बर्थडे व अन्य त्यौहारों पर मिलकर बधाई नहीं दे सकते हैं लेकिन एक फोन कॉल करके अपनी जुबान से शुभकामनाओं के संदेश तो दे ही सकते हैं। ऑनलाइन बधाई के साइड इफेक्ट का इससे बढिया उदाहारण क्या होगा हक एक बहन ने दूसरे शहर में रह रहे अपने भाई का रक्षाबंधन के त्यौहार पर फेसबुक पर राखी और मिठाई की तस्वीर लगाकर हैप्पी रक्षाबंदन लिखा।
भाई ने भी थोडी देर में थैंक्स लिख दिया। बहन ने फेसबुक की वॉल पर ही जवाब में एक डे्रस की तस्वीर लगाई और लिखा ले बहन तेरा गिफ्ट पसंद ना आये तो दूसरी भेजता हूं। बहन ने जब देखा और लाल पीली होकर लिखा भईया मैं असली वाले गिफ्ट ले जाओ। दोस्तों इस उदाहरण को पढकर शायद आपकों हंसी आ जाये तो हंस लेना लेकिन इसे हंसी में उडाना मत। पहले के समय में तो लोग तीज-त्यौहारों पर इक्टे होकर एक-दूसरे के साथ खुशियां बाटते थे लेकिन धीरे-धीरे बदलते समय के अनुसार समय की किल्लत का हवाला देते हुये तीज-त्योहार पर भी लोगो का मिलना नहीं हो पाता है।
ऎसे में फोन एक जरिया होता है कि हम अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को फोन कर उन्हें शुभकामनाएं देने के बहाने एक दूसरे का हाल चाल जान लेते ह। लेकिन अब तो ऑनलाइन बधाई के चलन से लोगों ने फोन भी करना बंद कर दिया है।
क्योंकि अब तो सोशलसाइट्स पर बधाई देकर काम बन जाता है। यानी हींग लगे ना फिटकरी और रंग चोखा। सोचिये आपने ऑनलाइन बधाई देकर समय तो बचा लिया लेकिन अपने दोस्तों और रिश्तेदारों का प्यार खो दिया। माना जमाना टेकलॉजी का है तो यह टेकलॉजी आप बाकी दिनों के लिये बचा कर रखिये कम से कम खुशी के मौको को अपनो के संग मिलकर इंजाय कीजिये। ऑनलाइन बधाई देनी ही हैं तो दीजिये लेकिन अपनों को ऎसे मौकों पर फोन कर शुभकामनाएं देना मत भूलें क्योंकि एक मिनट की बात से कुछ घटेगा नहीं बल्कि प्यार बढेगा।