एक तरफा प्यार को कहें बाय बाय

एक तरफा प्यार को कहें बाय बाय

प्यार का बंधन एक ऎसा बंधन होता है, जिसमें दो लोग आपस में बंधकर हमेशा एक-दूसरे के लिए हो जाते हैं। लेकिन कभी-कभी ऎसा होता है कि प्रेमी-प्रेमिका एक-दूसरे गुस्से से इतने उकता आ जाते हैं कि उन्हें समझ ही नहीं प़डता कि आखिर ये ऎसा करते क्यों हैं। रोज के सामान्य रिश्ते में ये बातें आम है कभी किसी बात पर कोई बिग़ड जाए तो कभी किसी बात पर कोई बिग़ड जाए। ऎसी नाराजगी भी व्यक्ति एक हद तक ही बर्दाश्त कर पाता है। कब तक चलेगी और कैसे मनाया जाए उसे। ऎसे व्यवहार से रिश्तों पर बहुत ही बुरा प्रभाव प़डता है।
ऎसी स्थिति में सहन करने वाले व्यक्ति के लिए प्यार करना गुनाह करने के समान हो जाता है। न तो उससे नाता तो़डते बनता है और न ही पूर्ण रूप से उसे स्वीकार करते बनता है। इस द्वंद्व से व्यक्ति मानसिक रूप से खासा परेशान होता है और रिश्ते पर प्रतिकूल प्रभाव प़डता है। बेशक आप बहुत पी़डा में रहती हैं क्योंकि उसके बिना कोई व्यक्ति किसी को भूलने की बात नहीं करता है। दरअसल, जब कोई रिश्ता केवल किसी एक व्यक्ति की जरूरत पर आधारित हो तो उस रिश्ते के स्थायित्व पर प्रश्न चिह्न लग ही जाता है।
दोनों के लिए खुशी, चिंता, दुख, ग्लानि की समान गुंजाइश नहीं रहती है। दूसरा व्यक्ति निर्विकार रूप से उस रिश्ते में रहता है। जब मूड हुआ, दया आई या उसे संग और संवाद की जरूरत महसूस हुई तो समय दे दिया वरना अन्य दिनचर्या में उस रिश्ते का स्थान नहीं। अनुभव यही बताते हैं कि केवल किसी एक के कंधे पर ऎसे रिश्ते का बोझ डालकर ज्यादा समय तक नहीं चला जा सकता है। एक अकेला व्यक्ति कहाँ तक संबंध की ग़ाडी खींच पाएगा।
वह न केवल बुरी तरह थक जाएगा बल्कि टूट भी जाएगा। ऎसे में यदि रिश्ता समाप्त हो जाए तो उसके पास अपना आगे जीवन संवारने के लिए ताकत नहीं बचेगी। ऎसे एकतरफा रिश्ते से जी क़डा करके निकल जाना चाहिए। यदि दोनों व्यक्ति की चाहत समान नहीं है तो आज न कल उस रिश्ते को टूटना ही है। उसके लिए मानसिक रूप से तैयार हो जाएं यही बेहतर है।