चंद्रराशि अनुसार प्रेम संबंध [तुला राशि]
तुला
+ मेष: आप दोनों के मध्य प्रेम संबंध अति उत्तम रहता है। मेष के संपर्क
से तुला के गुणों में अभिवृद्धि हो जाती है। आप दोनों की राशियाँ एक-दूसरे
को प्रोत्साहित करती हैं और आपके मध्य स्थापित संबंध परस्पर निर्भरता का हो
जाता है। तुला वाले "कहँू या ना कहँू" के चक्कर में ही प़डे रहते हैं जबकि
मेष वाले आकर हाथ थाम लेते हैं। आपके मध्य उत्पन्न प्रेम रोमांस की सभी
सीढि़याँ तय करता है और हर पल को अनुभूति करता हुआ चलता है। तुला व मेष का
परस्पर संबंध जीवन में अनुशासन व संतुलन को बनाये रखता है। सच्चो साथी की
तलाश एक दूसरे को पाकर पूरी हो जाती है। आप दोनों स्वाभिमानी प्रवृत्ति के
होते हैं अत: एक दूसरे को झुकाने का प्रयत्न नहीं करना चाहिये।
तुला + वृषभ : अपने संबंधों को गुणों की सूची से तुलना न करें अन्यथा
प्रेम आपके लिये बोझिल हो जायेगा। अपने अहं को ताक पर रखकर प्रेम संबंधों
को आनन्द उठाये अन्यथा हाथ मलते रह जायेंगे। आप दोनों ही सर्वगुण सम्पन्न
हैं। वृषभ वाले जब प्यार करते हैं तो प्रेम में स्थायित्व चाहते हैं और वे
तुला की भाँति "हवाई किले" ही नहीं बनाते रहते। प्रेम भले ही बाह्य आकर्षण
से प्रारंभ हो लेकिन परिणति आत्मा की गहराईयों पर जाकर ही होती है। वृषभ के
सहयोग से तुला आत्मीयता का तथा तुला के सहयोग से वृषभ को विविधता का अहसास
होता है। आप दोनों का संयोजन प्यार में नया "गुल" खिलाने वाला होता है।
तुला + मिथुन : आप दोनों के संबंध मधुर तथा शानदार रहेंगे। आप दोनों के
मध्य प्रेम संबंध पूर्णता के परिचायक होते हैं और एक - दूसरों को सहयोग
देते हुये आपका प्रेम रथ अनवरत गति से चलायमान रहता है। मिथुन की
व्यवहारिकता तथा तुला की यथार्थवादिता प्रेेम संबंधों को रचने में सफल होती
है। किसी भी कार्य को प्रारंभ करने से पूर्व एक दूसरे से सलाह-मशविरा जरूर
लें। यदि मिथुन वालों का दृष्टिकोण आत्मवादी हो जाता है, उस समय तुला वाले
अपने नजरिये को विस्तृत रखकर इस कटुता के क्षणों को पार करना होगा। आपकी
वाक्पटुता हास्य तक ही सीमित रहे, व्यंग्योक्ति नहीं बननी चाहिये क्योंकि
शब्दों के बाण तीरों के बाण से अधिक गहरे होते हैं। कटु पलों को नजर अंदाज
करें तो आपके संबंध रिश्तों में परिवर्तित हो सकेंगे।
तुला + कर्क : आप दोनों का संबंध दूध और पानी जैसा है। अगर आप एक दोनों एक
हो जाय तो फिर आपको अलग करना असंभव हो जाता है। लेकिन जरा सी गलतफहमी इस
दूध को फ़ाड भी सकती है। एक दूसरे के प्रति अविश्वास व सन्देह को न पनपने
दे। प्रेम में विश्वास आवश्यक त�व है, इसे बनाये रखें। एक दूसरे को सुनने
का प्रयास करें क्योंकि एक तरफा निर्णय आपके संबंधों में दरार पैदा कर सकते
हैं। दोनों ही राशि वाले किसी भी बात को बहुत देर तक दिल से नहीं लगाते,
जल्दी रूठते हैं तो जल्दी मान भी जाते हैं। तुला वाले अगर कर्क को विश्वास
में लेकर अपनी दिशा निर्धारण करें तो कर्क उसका पूर्ण रूप से अनुकरण करते
हैं।
तुला + सिंह : आप दोनों के मध्य संबंध सामान्य ही रहता है। तुला तो सिंह
को सहयोग देने के लिए हमेशा तत्पर रहती है परन्तु तुला को सिंह से आवश्यक
सहयोग नहीं मिल पाता है। सिंह राशि स्वेच्छाचारी होने के कारण निरंकुश हो
जाती है और वह तुला के प्रति आदेशात्मक रूख अपनाये रखती है जिससे तुला को
सरल ह्वदय आहत हो जाता है। आप दोनों के मध्य एक कॉमन फैक्टर उदारता कार्य
करती है। समर्पण जैसा भाव आपको एक-दूसरे के प्रति विश्वसनीय बनाता है और आप
एक दूसरों के हितों की रक्षा करने में ख़डे नजर आते हैं। सौन्दर्य और
कत्तüव्यों का मिश्रण हो जाय तो जिम्मेदारियाँ बोझ नहीं लगती बल्कि जीने का
लक्ष्य बन जाती है।
तुला + कन्या : आप दोनों के मध्य उत्तम रचनात्मकता जन्म लेती है। आप किसी
भी विषय को लेकर अधीर नहीं हो जाते और धैर्य रखकर उपयुक्त समय का इंतजार
करते हैं। आपके मध्य उत्पन्न प्रेम अत्यन्त नैसर्गिक व स्वभाविक होता है और
उस प्रेम से अन्दर का सौन्दर्य बाहर निकल कर आता है। आप दोनों के मध्य एक
दूसरे को समझने की सामथ्र्य व भावनायें होती हैं। कन्या वाले थो़डे संकोची,
शर्मीले स्वभाव के होने के कारण शब्दों की अपेक्षा अभिव्यक्ति को प्रेम का
माध्यम बनाते हैं। एक दूसरे पर नियंत्रण करने का प्रयास आपके संबंधों में
दरार ला सकता है। अपेक्षाकृत अच्छा होगा कि दिमाग की अपेक्षा दिलों पर शासन
करने का प्रयास करें। कन्या राशि मेष को उसके लक्ष्य की दूरी और क्षमताओं
का ज्ञान करवाती है तथा तुला भी कन्या की सृजनात्मक आलोचना का पूरा लाभ
उठाती है।
तुला + तुला : समान गुणों के कारण आप दोनों एक दूसरे को प्रभावित करते
हैं। आप दोनों की प्रेम तृष्णा एक दूसरे में पूरी हो जाती है। आप एक दूसरे
के संपर्क में आते हैं और धीरे-धीरे यह जान पहचान मित्रता में बदल जाती है।
आपमें एक दूसरे के प्रति आकर्षण बना रहता है और एक दूसरे के लिये प्रेरणा
के स्रोत बने रहते हैं। कभी-कभी एक सा दृष्टिकोण प्रेम संबंधों में ठहराव
ला सकता है। इसके लिये आप दोनों को नई गतिविधियों को जीवन में शामिल करते
रहना चाहिये। नीति निर्देशक बनने की अपेक्षा व्यवहारिक दृष्टिकोण आपके
प्रेम संबंधों को तरोताजा व संजिदा बनाये रखने में मदद करेगा।
तुला + वृश्चिक : आप दोनों के मध्य संबंध आपके प्रेम की अभिवृद्धि करने
वाले होते हैं। ऊपर से शांत दिखाई देने वाले अपने अन्दर झील की गहराई लिये
होते हैं। आप लोगों के बीच मधुर संबंध होते हैं और दोस्ती बहुत गहरी होती
है। यदि इन संबंधों को प्रेम तक ले जाय जाये तो ये संबंध स्थायी होते हैं।
हालांकि रहस्यमयी बात आप दोनों के बीच आ जाती है तो वह गलतफहमियाँ उत्पन्न
कर सकती है जिससे संबंधों में कटुता आ सकती है इसीलिये आपको बातों को
छिपाने से बचना चाहिये। पारदर्शिता का अभाव रिश्तों में दरार ला सकता है।
आप एक दूसरे को प्रोत्साहन देने वाले हैं और एक दूसरे को प्रेरित कर लम्बे
रास्ते तय कर सकते हैं। तुला के संपर्क से मेष की आक्रामक स्वभाव में सरलता
आ जाती है और वृश्चिक भी तुला को पुनर्विचार के लिये प्रेरित करती है।
तुला + धनु : दोनों ही राशियां विचारवान तथा लक्ष्यों के प्रति अग्रसर
रहती हैं। आप लोगों के मध्य संबंध गहरे हो सकते हैं। कभी-कभी आप अपने मध्य
स्वाभिमान की दीवार ख़डी कर लेते हैं जो रिश्तों पर चाकू की धार की तरह काम
करती है। आप किसी विषय को लेकर परस्पर उलझे नहीं। ऎसे मौके पर साथ बैठकर
विचार-विमर्श करें। आपकी सहभागिता ही गलतफहमी को दूर करने में सहायक होगी।
अहं तो प्यार की कैंची है। अगर आप अहं को छो़डकर एक दूसरे के विचारों का
सम्मान करें तो आपके प्रेम संबंध अत्यन्त व्यवहारिक हो जाते हैं। आप दोनों
का मिलन विस्तार, महत्वाकांक्षा और क्रियाशीलता को जन्म देती है।
तुला + मकर : आप दोनों के मध्य प्रेम संबंध उत्तम हो सकते हैं अगर आप
दोनों अपने स्वभाव में थो़डा-थो़डा परिवर्तन कर लें। आप दोनों का संबंध
पूरब - पश्चिम का संबंध बना रहता है। एक अपनी मर्यादाओं व परम्पराओं से
जु़डा रहता है तो दूसरा आकाश को छूने की आकांक्षा करता है। लक्ष्य प्राप्त
करने से पूर्व अगर आप अपनी नीतियों को योजनाबद्ध करें तो अपने प्रेम संबंध
अच्छे से निभा सकेंगे। आप दोनों में परस्पर सम्मान व स्नेह बना रहता है।
तुला वाले अगर मकर वालों को आश्वासन दे दें कि वे उनका साथ आखिरी दम तक
निभायेंगे तो मकर वाले भी प्रेम पथ पर आगे बढ़ने से पीछे नहीं हटेंगे। एक
प्रेम में आश्वासन तो दूसरा संतुष्टि चाहता है।
तुला + कुंभ : आप दोनों के मध्य प्रेम संबंध अति उत्तम रहता है। आप प्रेम
करते नही हैं, यदि आपको प्रेम हो जाये तो वह सात जन्मों का रिश्ता बन जाता
है। एक जीवन में संतुलन को मह�व देता है तो दूसरा सोच-विचार तथा योजना
बनाकर कार्य करता है। यद्यपि प्रेम संतुलन व योजना का विषय नहीं है अपितु
सहज व आकस्मिक रूप से उत्पन्न होने वाली तरंग है। प्रेम के प्रति समर्पण आप
दोनों को एक दूसरे से बाँधे रखता है। तुला वाले बर्हिमुखी तथा कुंभ
अंतर्मुखी स्वभाव के होते हैं। विपरीत स्वभाव के कारण किसी गलतफहमी को
रिश्तों के मध्य न आने दें। समय-समय पर प्यार की अभिव्यक्ति रिश्तों में
प्रगाढ़ता लाने वाली होगी।
तुला + मीन : आपके मध्य प्रेम संबंध अच्छे चल सकते हैं यदि आप अपने
सिद्धांतों व आदर्शो को प्रेम से अलग रख पायेंगे। प्रेम और आदर्श दोनों ही
जीवन के आवश्यक अंग है। सिद्धांत जीवन को ऊँचाई प्रदान करते हैं तो प्रेम
जीवन में अभिरूचि पैदा करता है। जीने की ललक ही सिद्धांतों को अपनाने की
प्रेरणा देती है। जिजीविषा के बिना जीवन तो बोझ बन जाता है। दोनों के लिये
प्रेम सर्वोपरि है। अगर जरूरत है तो एक दूसरे के सामने खुलकर आने की,
क्योंकि एक दूसरे के प्रति अज्ञात भय आपके पैरों की जंजीर बन सकता है।
आभार: एस्ट्रोब्लेसिंग डॉट कॉम
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