जानिए: खुद से प्यार करने के फायदे
खुद से प्रेम करना और दूसरों से प्रेम करना-ये दोनों बातें एक-दूसरे पर निर्भर करती हैं। दूसरों के लिए जीना नहीं सीखते तो खुद से भी प्यार नहीं कर सकते और खुद से प्यार नहीं कर सकते तो दूसरों के लिए भला कैसे जीना सीखेंगे।
जब हम स्वयं अपने भीतर से खुश और संतुष्ट होते हैं तभी हमारी उपस्थिति दूसरों को भी प्रसन्न कर पाती है।
अपने बारे में सोचना कोई अपराध नहीं है, लेकिन न सोचना अवश्य ऐसा त्याग है जिससे किसी का भला नहीं होता।
रोजमर्रा के जीवन से कुछ उदाहरण लेकर इस धारणा को स्पष्ट किया जा सकता है... यानी सभी के पास समस्याओं और शिकायतों का पुलिंदा है, कोई खुश नहीं है।
अपने इर्द-गिर्द मौजूद हर संबंध के बारे में सोच रहे हैं लोग, नहीं सोच रहे हैं तो सिर्फ अपने बारे में। कोई इसलिए परेशान है कि उसका साथी उससे आगे निकल गया, वह वहीं है, कोई सोचता है उसकी तकलीफें कभी खत्म नहीं होंगी, कोई तो इसलिए भी परेशान है कि दूसरे खुश क्यों और कैसे दिखते हैं! कई समस्याएं तो हम केवल इसलिए खडी कर रहे हैं क्योंकि हमारे पास और बडे काम नहीं हैं, सार्थक उद्देश्य नहीं हैं। जीवन सिर्फ रोजी-रोटी कमाने का सामान बनकर रह गया है।