स्वस्थ और सुरक्षित रहें नन्हीं आंखें

स्वस्थ और सुरक्षित रहें नन्हीं आंखें

आंखों कुदरत का दिया हुआ अनमोल तोहफा है बडे हो जाने पर तो हम इस तोहफे को सहेज कर रख लेते हैं और आंखों का पूरा ध्यान रखते हैं। लेकिन बच्चो इतने मासूम होते हैं कि वो ऎसा नहीं कर सकते। प्यारे-प्यारे बच्चों की छोटी-छोटी आंखों में भी कई तरह की प्रॉब्लम्स हो जाती है जिन्हें आप पहचान नहीं पाते और बच्चो बता नहीं पाते है। ऎसे में माता-पिता को ही बच्चों की आंखों से सम्बन्धित परेशानियों को ध्यान रखना चाहिए और समय पर समय आंखों का चैकअप करवाते रहना चाहिए। द ऎकेडमी ऑफ ऑप्थेमोलॉजि और द अमेरिकन ऎकेडमी आप्टीमेटीक ऎसोसिएशन का सुझाव है कि बच्चों की आंखों की जांच छ:महीने, तीन साल, पांच साल की उम्र में हो जानी चाहिए। हालांकि स्कूल में बच्चों की आंखों की जांच होती है लेकिन फिर भी आंखों से सम्बन्धित परेशानियां का पता नहीं लग पाता। इसलिए नन्हीं आंखों की जांच नियमित रूप से किसी अच्छे आई स्पैलिस्ट से करवानी चाहिए।