जानें: श्राद्ध में ब्राह्माण भोजन का महत्व
हिन्दूधर्म के अनुसार, प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारम्भ में माता-पिता, पूर्वजों को नमस्कार प्रणाम करना हमारा कर्तत्व है, हमारे पूर्वजों की वंश परम्परा के कारण ही हम आप यह जीवन देख रहे हैं, इस जीवन का आनंद प्राप्त कर रहे हैं। इस धर्म में, ऋषियों ने वर्ष में एक पक्ष को पितृपक्ष का नाम दिया, जिस पक्ष में हम अपने पितरेŸवरों का श्राद्ध, तर्पण, मुक्ति हेतु विशेष क्रिया संपन्न कर उन्हें अध्र्य समर्पित करते हैं।पितृ पक्ष में पितरों के श्राद्ध के दिन ब्राह्माण भोजन का बहुत ही महत्व माना जाता है। हिन्दू शास्त्रों के मुताबिक श्राद्ध वाले दिन में पितृ स्वयं ब्राह्माण के रूप में उपस्थित होकर भोजन ग्रहण करते है और जिस घर में ब्राह्माण देवता को प्रसन्न होकर पूर्ण श्रद्धा एवम आदरसम्मान के साथ भोजन कराया जाता है, उन्हें दक्षिणा दी जाती है, वहां पर पितृ पूर्णत्या तुप्त होकर अपने वंशजों को अपना दिव्य आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस पर्व में अपने पितरों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व उनकी आत्मा की शांति देने के लिए श्राद्ध किया जाता है और उनसे जीवन में खुशहाली के लिए आशीर्वाद की कामना की जाता है।