दीपक जलाने से होता है बुरी चीजों का नाश और भागती है बीमारियां
अगर सच्चे मन से
ईश्वर को याद करा जाए तो किसी भी प्रकार की मुद्रा या वस्त्र धारण करने की
आवश्यकता नहीं। इसके लिए तो केवल हाथ जोडकर, या फैला कर, पूरी श्रद्धा सहित
भगवान के सामने प्रार्थना करना ही काफी है। इससे भक्त और भगवान के बीच एक
गहरा रिश्ता स्थापित होता है साथ ही मन तथा मस्तिष्क को अत्यंत सुकून और
शांति भी मिलती है। हिन्दू परंपरा में पूजा के दौरान दीपक जलाने की मान्यता
है। दीपक वह पात्र है, जिसमें घी या तेल रखकर सूत में ज्योति प्रज्वलित की
जाती है। पांरपरिक तौर पर केवल मिट्टी के दीये जलाये जाते हैं लेकिन अब
लोग घर में धातु के दीये भी जलाते लगे हैं।
भिन्न-भिन्न देवी-देवताओं की साधना अथाव सिद्धि के मार्ग पर चलते हैं तो
दीपक का महत्व विशिष्ट हो जाता है। हिन्दू शास्त्रों के मुताबिक आज भी
पूर्ण विधि-विधान के साथ पूजा करने को महत्व दियागया है। पूजा के लिए सही
सामग्री, स्पष्ट रूप से मंत्रों का उच्चारण एवं रीति अनुसार पूजा में
सदस्यों का बैठना, हर प्रकार से पूजा को विधिपूव्रक बनाने की कोशिश की जाती
है।
घर में दीपक जलाने से बुरी चीजों का नाश और बीमारियों को भी दूर करने में
मदद मिलती है। खासकर जब आप दीपक के साथ एक लौंग जलाते हैं तो इसका दोगुना
असर होता है। घी में चर्मरोग दूर करने के सारे गुण होता है। इस कारण मान
जाता है कि घी का दीलपका जलानेसे घर के रोग दूर भागते हैं।
पूजा के समय घी का दीपक उपयोग करने का एक और आध्यात्मिक कारण है। शास्त्रों
के मुताबिक यह माना गया है कि पूजन में पंचामृत का बहुत महत्व है और घी
उन्हीं पंचामृत में से एक माना गया है। इसलिए घी का दीपक जलाया जाता है।
ऐसे माना जाता है कि यदि तेल के उपनयोग से दीपक जलाया जाए तो उससे उत्पन्न
होने वाली तरंगे दीपक के बुझने के आधे घंटे बाद तक वातावरण को पवित्र बनाए
रखती हैं। लेकिन घी वाला दीपक बुझने के बाद भी लगभग चार घंटे से भी ज्यादा
समय तक पअनी सात्विक ऊजा को बनाए रखता है।