बच्चो की हेल्थ पर इडियट बॉक्स की मार

बच्चो की हेल्थ पर इडियट बॉक्स की मार

सारी दुनिया में टीवी की लोकप्रियता इतनी बढ गई है कि उसे हर देश में खूब देखा जा रहा है। उसे हर उम्र के बूढे, जवान, बच्चो सभी देख रहे हैं, उसे हर उम्र के भी जो अभी बोलना भी नहीं सीखे हैं वे भी देख रहे हैं या यों कहें कि उन्हें दिखाया जा रहा है। वैसे टैलीविजन मनोरंज और शिक्षा की दृष्टि से उपयोगी है, परंतु प्रश्न यह उठाता है कि इसकी उपयोगिता की सीमा क्या है, साथ ही इसे देखने के समय की सीमा क्या है।
प्रत्येक कार्य के अच्छेबुरे दोनों ही परिणाम होते हैं। किसी भी कार्य के 2 पहलू होते हैं। अत: एक और जहां टीवी देखना फायदेमंद हो सकता है, वहीं दूसरी ओर इस के कई दुष्परिणाम भी हैं। अधिक समय तक टैलीविजन देखना किसी भी आयु के लोगों को शारीरिक एवं मानसिक परेशानी दे सकता है।
एक शोध में खुलासा हुआ है कि लगभग 15 प्रतिशत छोटे बच्चो सप्ताह में 18 घंटे से ज्यादा टीवी देखते हैं। सप्ताह में 18 घंटे से अधिक टीवी देखने वाले बच्चो की वेस्ट लाइन में 10 वर्ष की उम्र तक 7 5 मिलीमीटर की बढोतरी हुई।
क्लास 2 के बच्चो की खडेखडे लौंग जंप की क्षमता की परीक्षा ली गई और क्लास 4 में उनकी कमर का नाप लिया गया। टीवी पर लगाए गए प्रत्येक घंटे ने उनकी जंपिंग की क्षमता में 2 85 मिलीमीटर की कमी की।
एक शोध में पता चला है कि पेट की चरबी बाद में विशेष रूप से ह्वयदवाहिनी, ह्वयद संबंधी स्वास्थ्यके लिए एक बडे खतरे का कारक बन जाती है। सामान्य स्वास्थ्य के लिए मांसपेशियों की मजबूती बहुत मह┼╛वपूर्ण हे। इसलिए बच्चाों के स्वास्थ्य के लिए उनका खेलनाकूदना ज्यादा जरूरी है।