इंडिया में टेंपररी रोजगार का बढता चलन
नई दिल्ली वर्ल्ड बैंक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार शहरी विकास तेज करना और श्रमिक कानूनों में लचीलापन लाना ही रोजगार के अवसर बढाने और निरंतर वृद्धि तथा गरीबी कम करने की कुंजी है। विश्व बैंक की विकास रिपोर्ट 2013 के अनुसार भारत में टेंपररी रोजगार लगातार बढ रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार संगठित क्षेत्र में टेपररी कर्मचारियों की संख्या वर्ष 2000 में जहां 32 प्रतिशत थी वह 2010 में बढकर 68 प्रतिशत पर पहुंच गई। विश्व बैंक की जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल 70 लाख लोग कामकाजी आयु वर्ग में आ जाते हैं। इस बढती जनसंख्या को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिये शहरी विकास को तेज करना और श्रमिक व्यवस्था में लचीलापन लाना जरूरी होगा। इससे आर्थिक वृद्धि को निरंतर रखा जा सकेगा और गरीबी कम करने में मदद मिलेगी। एक रिपोर्ट के अनुसार पता चला है कि भारत में अस्थायी कर्मचारियों की संख्या वर्ष 2009 में 10 प्रतिशत बढी और वर्ष 2010 में इसमें 18 प्रतिशत वृद्धि हुई। सबसे बडी बात यह है कि संगठित क्षेत्र अनियमित(अनौपचारिक) कर्मचारियों की संख्या वर्ष 2000 में जहां 32 प्रतिशत थी वहीं वर्ष 2010 में यह 68 प्रतिशत तक पहुंच गई। रिपोर्ट में भारत के लिए मजबूत शहरीकरण नीति की आवश्यकता पर जोर दिया गया है ताकि बेहतर रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकें। रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि भारत में श्रम कानून ज्यादा कडे नहीं होने चाहिये, उसमें ज्यादा दिहाडी रोजगार सृजन को बढावा मिलना चाहिए। विशेषकर वैश्विक बाजारों से जुडे शहरों में इस तरह की श्रम व्यवस्था होनी चाहिए।