मानसून में घातक बीमारियों के मामलों में होती है वृद्धि
नई दिल्ली। देश में मानसून के दौरान बुखार और अन्य संबंधित रोगों के मामले
बढ़ जाते हैं। इनमें वायरल, मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसी घातक
बीमारियां शामिल हैं।
हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष
डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, ‘‘मानसून के दौरान लगातार बुखार रहे तो इसे
नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अपने आप दवा लेकर इलाज करना भी घातक हो सकता है।
बुखार विभिन्न स्थितियों का संकेत हो सकता है और मानसून फीवर विशेष रूप से
भ्रामक हो सकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वायरल बुखार खांसी, आंखों की
लाली या नाक बहने से जुड़ा हुआ है। डेंगू के साथ बुखार और आंखों में दर्द
होता है। चिकनगुनिया बुखार, दांत और जोड़ों के दर्द का मिश्रण है। आम तौर
पर जोड़ों का दर्द बढ़ता जाता है। मलेरिया बुखार ठंड और जकडऩ के साथ आता है
और बुखार के दो एपिसोड के बीच एक सामान्य चरण होगा। स्थिति की शुरुआत के
बाद पीलिया में बुखार गायब हो जाता है। अंत में टाइफाइड बुखार अक्सर
अपेक्षाकृत नाड़ी और विषाक्त भावना के साथ लगातार बना रहता है।’’
डॉ
अग्रवाल ने बताया, ‘‘इस मौसम में कई बीमारियां पानी के ठहराव और मच्छरों
के प्रजनन के परिणामस्वरूप होती हैं। पेयजल का प्रदूषण भी आम कारण है।
डायरिया और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण को रोकने के लिए स्वच्छ और शुद्ध
पानी पीना महत्वपूर्ण है।’’
उन्होंने बताया, ‘‘टॉक्सेमिया होने तक
एंटीबायोटिक लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। गला खराब होने के मामलों में
एंटीबायोटिक्स केवल तभी आवश्यक होती हैं जब गले में दर्द या टॉन्सिल हों।
पेरासिटामोल या नाइमेसुलाइड के अलावा अन्य एंटी-फीवर दवाओं का उपयोग बिना
सोचे समझे नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इनसे प्लेटलेट की काउंटिंग कम हो
सकती है’’
डॉ अग्रवाल ने कुछ सुझाव देते हुए कहा, ‘‘हल्का भोजन
खाएं क्योंकि शरीर की जीआई प्रणाली भारी भोजन को पचा नहीं सकती है। बिना
धोये या उबाले पत्तेदार सब्जियां न खाएं, क्योंकि वे राउंड वर्म के अंडों
से दूषित हो सकती हैं। बाहरी स्टॉल पर स्नैक्स खाने से बचें। इस सीजन में
करंट लगने से होने वाली मौतों से सावधान रहें क्योंकि अर्थ न होने पर कूलर
में करंट आ सकता है। नंगे पैर नहीं चलें, क्योंकि अधिकांश कीड़े बाहर आ
सकते हैं और संक्रमण का कारण बन सकते हैं।’’
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