जानिये पूजा में दीपक जलाने के महत्व को...
अगर सच्चे मन से ईश्वर को याद करा जाए तो किसी भी प्रकार की मुद्रा या वस्त्र धारण करने की आवश्यकता नहीं। इसके लिए तो केवल हाथ जोडकर, या फैला कर, पूरी श्रद्धा सहित भगवान के सामने प्रार्थना करना ही काफी है। इससे भक्त और भगवान के बीच एक गहरा रिश्ता स्थापित होता है साथ ही मन तथा मस्तिष्क को अत्यंत सुकून और शांति भी मिलती है। हिन्दू परंपरा में पूजा के दौरान दीपक जलाने की मान्यता है। दीपक वह पात्र है, जिसमें घी या तेल रखकर सूत में ज्योति प्रज्वलित की जाती है। पांरपरिक तौर पर केवल मिट्टी के दीये जलाये जाते हैं लेकिन अब लोग घर में धातु के दीये भी जलाते लगे हैं।
जब हम धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भिन्न-भिन्न देवी-देवताओं की साधना अथाव सिद्धि के मार्ग पर चलते हैं तो दीपक का महत्व विशिष्ट हो जाता है। हिन्दू शास्त्रों के मुताबिक आज भी पूर्ण विधि-विधान के साथ पूजा करने को महत्व दियागया है। पूजा के लिए सही सामग्री, स्पष्ट रूप से मंत्रों का उच्चारण एवं रीति अनुसार पूजा में सदस्यों का बैठना, हर प्रकार से पूजा को विधिपूव्रक बनाने की कोशिश की जाती है।