जानिये: एकादशी निर्जला व्रत का महत्व...
व्रत का महत्व- महाभारत काल में एक दिन महर्षि वेदव्यास पाण्डवों को एकादशी व्रत का महत्व समझा रहे थे। उस महत्वा को सुनकर भीम के अतिरिक्त सभी पाण्डवों तथा द्रोपदी ने एकादशी व्रत का संकल्प लिया। चूंकि भीम के उदर में वृक्व नामक अग्नि थी जिसके कारण उन्हें ज्यादा भूख लगती थी। नाग प्रदेश में दस कुण्डों का रस पीने से जब उनमें दस हजार हाथियों की शक्ति आ गई तो उनकी भूख और बढ गई, अत: बाहरमहीनों की 24 एकादशियों का व्रत रखने में स्वयं को वह असमर्थ पा रहे थे, एकादशी का महत्व सुनकर उन्होंने इसे करना चाहा और अपनी स्थिति महर्षि वेदव्यास के समक्ष रखी। महर्षि वेदव्यास ने कहा कि यदि तुम ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को निर्जला व्रत रखो तो समस्त एकादशियों का फल तुम्हें प्राप्त हो जाएगा। वेदव्यास की सलाह पर भीम ने इस व्रत को किया। इसीलिए इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं।