दुर्गा पूजा का महत्व
दुर्गा पूजा का पर्व हिन्दू देवी दुर्गा की बुराई
के प्रतीक राक्षक महिषासुर पर विजय के रूप में मनाया जाता है। अत: दुर्गा
पूजा का पर्व बुराई पर भलाई की विजय के रूप में भी माना जाता है। इसमें छ:
दिनों को महालय, षष्ठी, महा सप्तमी, महा अष्ठमी, महा नवमी और विजयदशमी के
रूप में मनाया जाता है। दुर्गा पूजा को मनाये जाने की तिथियां पारम्परिक
हिन्दू पंचांग के अनुसार आता है तथा इस पर्व से सम्बंधित पखवाडे को देवी
पक्ष, पखवाडा के नाम से जाना जाता है।
यह भारत का एक महत्वपूर्ण
त्योहार है। यह एक परंपरागत अवसर है, जो लोगों को एक भारतीय संस्कृति और
रीति में पुन. जोडता है। विभिन्न प्रकार के रीति-रिवाजों, जैसे उपवास,
दावत, पूजा आदि को पूरे दस दिनों के त्योहार के दौरान निभाया जाता है। लोग
अन्तिम चार दिनों में मूर्ति विसर्जन और कन्या पूजन करते हैं. छ: दिनों को
महालय, षष्ठी, महा सप्तमी, महा अष्ठमी, महा नवमी और दशर्मी के नाम से जाने
जाते हैं। लोग दस भुजाओं वाली, शेर पर सवार देवी की पूरे उत्साह, खुशी और
भक्ति के साथ पूजा करते हैं।