ऊन के गोले, सलाइयां और उधेडबुन
महिलाएं अपने हाथों का हुनर दिनभर ऊन के गोलों में उडेंलती। मजाल है जो एक
भी फंदा गलत पड जाए। स्कूल की अध्यापिकाओं पर तो इस बात पर बहुत मजाक बनते
रहे हैं। कहा जाता है कि वे सर्दियों के दिनों में कक्षा में ही बुनाई करती
रहती हैं। बच्चों को पाठ दे दिया और स्वयं सलाइयों पर फंदे चढाते और
उतारते रहे।