कोविड-19 का वैक्सीन पहले किसे देनी है, कैसे तय करें?
न्यूयॉर्क। वैक्सीन के वितरण को लेकर दुनिया के कम से कम 19 स्वास्थ्य
विशेषज्ञों ने फेयर प्रायोरिटी मॉडल के नाम से एक नया तीन चरणीय प्रस्ताव
पेश किया है, जिसका मकसद कोविड-19 से हो रही मौत व स्वास्थ्य संबंधी अन्य
जोखिमों को कम करना है। अमेरिका में पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय से शोध के
प्रमुख लेखक ईजेकीन जे.एमानुएल कहते हैं, जनता के बीच वैक्सीन को
निष्पक्ष तरीके से वितरित किया जाना है, लेकिन स्वाभाविक तौर पर हम क्या
करते हैं, जिसकी स्थिति जितनी अधिक नाजुक होती है, उसे ही पहली प्राथमिकता
देते हैं। हम मानते हैं कि वैक्सीन से महामारी का सामना कर रहे लोगों की
मौतों में कमी आएगी।
अपने प्रस्ताव में लेखकों ने तीन ऐसी बातें
बताई हैं, जिन पर वैक्सीन वितरण के समय ध्यान दिया जाना जरूर है : लोगों को
लाभ पहुंचाना व नुकसान को सीमित करना, गैर लाभार्थियों को प्राथमिकता देना
और हर एक व्यक्ति पर समान रूप से ध्यान देना।
फेयर प्रायोरिटी
मॉडल कोविड-19 से पैदा होने वाले तीन प्रकार के नुकसानों को कम करने के
लिए इन्हीं महत्वपूर्ण बातों पर गौर फरमाया है। ये तीन नुकसान हैं : मृत्यु
या किसी अंग का हमेशा के लिए खराब हो जाना, सेहत पर अप्रत्यक्ष रूप से
प्रभाव पड़ना, जैसे कि हेल्थ केयर सिस्टम पर अधिक दबाव व तनाव और आर्थिक
रूप से तबाही।
यह मॉडल का पहला चरण है, जिसमें शोधकर्ताओं ने
मृत्यु, खासकर अकाल मृत्यु को रोकने की बात कही है। हर देश में जीवन
प्रत्याशा दर से कोविड-19 से हो रही अकाल मृत्यु की पुष्टि की जा रही है।
सामान्यत: वैश्विक स्वास्थ्य सूचकांक को इसी आधार पर तय किया जाता है। एक
निर्धारित उम्र के जीवन में शेष बचे वर्षो की औसत संख्या जीवन प्रत्याशा दर
है।
दूसरे चरण में आर्थिक सुधार की बात कही गई है जिसमें निम्न
वर्ग के लोगों की स्थिति को बेहतर बनाने की बात भी कही गई है, ताकि गरीबी
को फैलने से रोका जा सके।
तीसरे चरण में उन देशों को प्राथमिकता
देने की बात कही गई है, जहां संचरण दर सबसे ज्यादा है, हालांकि इसे रोकने
के लिए हर देश में समान मात्रा में वैक्सीन वितरण किए जाने के बारे में भी
बताया गया है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि फ्रंटलाइन हेल्थ केयर वर्कर्स
की संख्या के आधार पर देशों को प्राथमिकता की सूची में स्थान दिया जाना
चाहिए। ठीक इसी तरह, जिन देशों में वृद्धों की संख्या ज्यादा है, वहां
वैक्सीन पर ध्यान केंद्रित करने से भी न तो वायरस का प्रसार कम होगा और न
ही मृत्युदर घटेगी। बात अगर कम या मध्यम आय वाले देशों की करें, तो यहां
वृद्धों की संख्या सामान्यत: कम होती है।
कुल मिलाकर, मॉडल में
नुकसान को कम करने, गैर लाभार्थियों पर ध्यान देने और लोगों में समानता को
बरकरार रखने की बात कही गई है। (आईएएनएस)
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