अनचाहे गर्भ से बचाव अब बहुत ही आसान
सर्जिकल गर्भपात
अगर किसी वजह से गर्भ 9 सप्ताह से अधिक समय का हो गया है तो इस से छुटकारा
पाने के लिए सर्जिकल गर्भपात सुरक्षित होगा। पहले 12 सप्ताह में सक्षन विधि
डायलेटेशन एंड इवेक्यूएशन (डीएंडई) से गर्भपात सुरक्षित रूप से किया जा
सकता है। यह एक छोटा सा ऑपरेशन होता है जिस में गर्भाशय ग्रीवा को सुन्न कर
दिया जाता है। गर्भाशय के लिए गर्भाशय ग्रीवा को डायलेटर से चौडा किया
जाता है और सक्शन केन्यूला लगा कर गर्भाशय में पल रहे गर्भ को सकिंग तकनीक
से बाहर निकाला जाता है। जैसे ही टिशू निकाल दिए जाते हैं गर्भाशय पुन:
संकुचित हो कर अपने सामान्य आकार का हो जाता है और बाकी बचे अंशों को भी
बाहर धकेल देता है। अधिकतर महिलाओं को इस दौरान मासिक धर्म के दौरान होने
वाले दर्द जैसी पीडा उठती है। ऎसा बहुत कम होता है कि दर्द की लहर न उठे।
जैसे ही ट्यूब हटाई जाती है दर्द अपनेआप कम हो जाता है। इस पूरी प्रक्रिया
में 5 से 10 मिनट का समय लगता है।
प्राकृतिक या मेडिकल गर्भपात के बाद भी जिन महिलाओं के गर्भ के कुछ अंश
गर्भाशय में रह जाते हैं, उन की क्लीनिंग भी इसी तकनीक से की जाती है। कुछ
घंटों के लिए मरीज को अस्पताल में रखा जाता है फिर घर भेज दिया जाता है। इस
आपरेशन के बाद कुछ दिन तक एंटिबायोटिक और दर्द निवारक दवाएं लेना जरूरी
होता है। इस तकनीक से गर्भपात में कुछ जटिलताएं हो सकती हैं लेकिन यह आशंका
2 प्रतिशत से भी कम होती है। गर्भपात के दौरान गर्भाशय में छूट गए अंश या
टिशू चिंता का कारण हो सकते हैं। वैसे तो इन्हें बाहर निकालने के लिए
गर्भाशय स्वयंमेव संकुचित हो जाता है। लेकिन अगर किसी वजह से गर्भाशय
संकुचित नहीं होता है तो इसे संकुचित करने के लिए दवाएं दी जाती है। अगर
दवाओं से लाभ नहंी होता तो डीएंडसी करनी पडती है। गर्भपात के दौरान औजारों
का प्रयोग होता है और गर्भद्वार भी खुला होता है। औजारों के माध्यम से व
खुले गर्भद्वार से इन्फेक्शन फैलाने वाले बैक्टीरिया जाने का खतरा होता है।