उच्च रक्तचाप बढ़ाता है दिल के दौरे का खतरा

उच्च रक्तचाप बढ़ाता है दिल के दौरे का खतरा

डॉ. गुप्ता कहते हैं कि हाइपरटेंशन को ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है, क्योंकि उच्च रक्तचाप से पीडि़त 30 प्रतिशत से अधिक लोगों को इससे पीडि़त होने का पता नहीं होता है। ज्यादातर बार, इसके बहुत मामूली लक्षण प्रकट होते हैं या कोई लक्षण नहीं होते हैं। आपको जिन कुछ संकेतों पर ध्यान देना चाहिए, वे हैं- सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द या भारीपन, सिरदर्द, हृदय की अनियमित धडक़न (धडक़न), देखने में समस्या, पेशाब करने में समस्या आदि।

उन्होंने कहा, ‘‘मामूली लगने वाले ये लक्षण धमनियों और शरीर के महत्वपूर्ण अंगों के नुकसान पहुंचने के संकेत हो सकते हैं जो आगे चलकर जीवन के लिए घातक हो सकते हैं और आपात चिकित्सा की जरूरत पड़ सकती है। इसलिए, हमें न केवल उच्च रक्तचाप की पहचान और नियंत्रण नहीं करना चाहिए, बल्कि आम लोगों में उच्च रक्तचाप के प्रसार को कम करने के लिए स्वस्थ जीवन शैली और निवारक रणनीतियों को बढ़ावा देना चाहिए।’’

डॉ. कालरा का सुझाव है कि लोगों को नियमित रूप से अपना रक्तचाप चेक करवाना चाहिए। जीवन के लिए घातक घटनाओं को रोकने के लिए रक्तचाप को नियंत्रण में रखना आवश्यक है। हृदय रोग की रोकथाम के लिए स्वस्थ जीवन शैली को अपनाना, नियमित व्यायाम करना, तंबाकू के किसी भी उत्पाद का सेवन नहीं करना, 7 घंटे की नींद लेना, तनाव को नियंत्रित करना, फलों का अधिक सेवन करना, शराब का सीमित मात्रा में सेवन करना सबसे महत्वपूर्ण हैं।

उन्होंने कहा कि उच्च रक्तचाप के बारे में सबसे चिंताजनक तथ्य यह है कि यह किसी भी आयु वर्ग को प्रभावित कर सकता है। हालांकि यह बुजुर्गों या मोटे लोगों की बीमारी मानी जाती है, लेकिन अब युवाओं में भी इसकी काफी अधिक पहचान की जा रही है। उच्च रक्तचाप शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है, चाहे वह मस्तिष्क, हृदय या गुर्दे हों। मरीजों को सिरदर्द, थकान, एंग्जाइटी, चक्कर आना, कमजोरी, भ्रम की शिकायत, जी मिचलाना, सीने में दर्द और यहां तक कि शरीर के एक हिस्से में कमजोरी की शिकायत भी हो सकती है।
(आईएएनएस)

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