दिल के रस्ते मन में बसते हैं धीरे-धीरे

दिल के रस्ते मन में बसते हैं धीरे-धीरे

प्यार कब और किसी हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। पहले कोई आंखों को अच्छा लगता है, फिर धीरे-धीरे वह मन में बस जाता है। इसके बाद शुरू होता है खुद से युद्ध कि इजहारे मुहब्बत कैसे किया जाए। अक्सर हमने सुना है कि प्यार के चक्कर में पडकर अच्छा खासा आदमी बर्बाद हो गया लेकिन कभी-कभी चाहे-अनचाहे हमारे कानों में ऎसे भी किस्से सुनाई देते हैं, जिनमें प्यार एक नव प्रेरणा बनकर जीवन को एक नया रूप प्रदान करता है।