नुसखे हेल्थ के

नुसखे हेल्थ के

घरेलू महिला या गृहणी की परिभाषा में वे महिलाएं आती हैं जो शादी के बाद अपने घर परिवार की जिम्मेदारी को उठाती हैं। वे बच्चाों के साथ पूरे घर को सम्भालती हैं। लेकिन वहीं महिलाएं अक्सर परिवार का ध्यान रखते-रखते अपनी सेहत के प्रति लापरवाह रहती हैं। अच्छी सेहत के लिए कई बातें ऎसी हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
मेनोपौज- इस दौरान स्त्री के शरीर में हारमोन सम्बन्धी अनेक बदलाव जैसे, शरीर के तापमान में अनिश्चितता, अचानक बुखार या पसीना आना, चिडचिडापन, अनिंद्रा, स्मरणशक्ति में क्षति, यौनेच्छा में कमी, त्वचा में रूखापन, केशों का झडना, अवांछित बालों की समस्या और ह्वदय की धमनियों के संकुचित होने से ह्वदय रोग का खतरा होता है। इस दौरान ऎस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरौन हारमोन्स के निर्माण की प्रक्रिया भी धीमी पड जाती है, जिसकी वजह से यूटीआई और खांसी के साथ युरिन डिस्चार्ज जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
बचाव- भोजन में हरी सब्जियों, सलाद अंकुरित अनाज, दालों, ताजे फलों और जूस को शामिल करें। मेनोपौज से पहले ही 1200 मिलीग्राम तक कैल्शियम जरूर लें। खासकर दूध-दही कासेवन प्रचुरता से करें। सूती कपडे पहनें, क्योंकि इस दौरान पसीना अधिक आता है। इससे आप त्वचा सम्बन्धी रोगों से बची रहेंगी। ऎसा सोचना गलत है कि मेनापौज के बाद शरीर थक जाता है। ब्रिस्क वौकिंग, जौगंग, स्किपिंग, स्विमिंग जैसे व्यायाम आप डॉक्टर की सलाह पर कर सकती है।
यीस्ट इन्फैक्शन- मैडिकल साइंस के सर्वेक्षणों के अनुसार लगभग 90 प्रतिशत महिलाएं इस समस्या से कभी न कभी ग्रस्त होती हैं। लक्षण- वैजाइना में खुजली, जलन, सफेद रंग का गाढा डिस्चार्ज, स्किन रैशेज सूजन, बारबार यूरिन आना और युरिन डिस्चार्ज के समय दर्द होना।
कारण- यह समस्या एक तरह से यीस्ट के वैजाइना में कुछ कराणों से सक्रिया होने के कारण हेती है जैसे, कुपोषण, अनिद्रा, ज्यादा ऎटीबायोटिक दवाओं का सेवन, नायलॉन या लाइक्रा के इनरवियर पहनना, गर्भावस्था में डायबिटीज, लगातार गर्भनिरोधक गोलियों और बहुत ज्यादा खट्टी चीजों का सेवन।
बचाव- व्यक्तिगत सफाई का ध्यान रखें। स्विमिंग के बाद बिना देर किए तुरन्त नहा कर कपडे बदलें। कॉटन के ढीले इनरवियर पहनें। बिना डॉक्टर की सलाह के ऎंटीबायोटिक दवा ना लें। अगर डायबिटीज है तो ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने की कोशिश करें। इसके लिए किसी रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।
ऎनीमिया-चोट लगने, सर्जरी या पीरयिड के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होने, खानपान में लापरवाही बरतने, गर्भावस्था के दौरान आयरन और फौलिक एसिड का पर्याप्त मात्रा में सेवन ना करने से ऎनीमिया होन का खतरा ज्यादा बढ जाता है। सिरदर्द, थकान नींद ना आना, चक्कर आना और आंखों के आगे अंधेरा छाना, ह्वदयगति असामान्य होना, कभीकभी बेहोशी का दौरा पडना , भोजन के प्रति अरूचि, आंखों के नीचे काले गडढे पडना, नाखूनों की रंगत सफेद पडना आदि इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
बचाव- संतुलित और पौष्टिक आहार लें। आयरनयुक्त खाद्यपदाथों जैसे, हरी पत्तेदार सब्जियों, फलों औरअन्य खाद्यपदाथों जैसे, रैड मीट, चुकंदर, आंवला, गाजर, सेब, अनार, खजूर, मंूगफली, गुड और सूखे मेवे का सेवन करें। फौलिक ऎसिड की मात्रा बढाने के लिए कुटू का आटा, जौ, गोभी, मशरूम,ब्रोकली और शहद खाएं। डॉक्टर की सलाह पर आयरन और फौलिक ऎसिड की गोलियां लें। साल में एक बार हीमोग्लोबिन चैक करवाएं। युरिन लीक होना-इस बीमारी से पीडित स्त्री का हंसते, खांसते, छींकते या ऎक्सरसाइज करते समय युरिन लीक हो जाता है। यह समस्या अकसर बच्चो के जन्म के बाद युरिनरी ब्लैडर को सपोर्ट करने वाली पैल्विक फ्लोर मसल्स के ढीले पडने के कारण शुरू हो जाती है। बचाव-आमतौर पर डिलीवरी के 6 महीने के भीतर यह समस्या अपनेआप ठीक हो जाती है, क्योंकि जब तक पैल्विक फ्लोर मसल्स फिर से टाइट हो जाती हैं। तब भी यह समस्या ठीक ना हो तो कीगल ऎक्सरसाइज मददगर साबित हो सकती है। इस से योनि की मसल की टोनिंग होती है। तीखा व मसालेदार खाना, चाय, कॉफी, चॉकलेट एवं ऎसिडिक फ्रूट व डेरी प्रोडक्ट्स से परहेज करें।