ज्वेलरी बनाए सेहत
गहने बदन की शोभा ही नहीं बढाते, बल्कि आपको स्वस्थ भी रखते हैं। आप भी जानें कि गहने किस तरह आपकी सेहत को फायदा पहुंचाते हैं। गहने आपके साथी हैं। जातनी हैं क्योंक् क्योंकि गहने चाहे किसी भी तरह की धातु के क्यों न हो, आपको लंबी उम्र तक स्वस्थ और सुंदर बनाए रखते हैं। सभी धातुओं की तासीर अलग-अलग होती है, जैसे सोने को गरम धातु माना जाता है, चांदी ठंडी धातु मानी जाती है। पीतल व तांबा में भी ठंडक होने के साथ-साथ अनेक पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो व्यक्ति की पाचन शक्ति को बढाते हैं। ज्योतिष विज्ञान में गहनों के प्रभाव को ग्रहों से जोड कर भी देखा गया है। आइए जाने कि कौन से गहने किस तरह से महिलाओं के शरीर को लाभ पहुंचा सकते हैं।
टीका : माथे पर पहना जानेवाला टीका मस्तिष्क और मन को विशेष शांति प्रदान करता है। मस्तिष्क के विचारों को नियंत्रित, संयमित और सुव्यस्थित रखता है।
नथ : नथ पहनने से जुकाम या नाक संबंधी अन्य रोग कम होते हैं। नथ के अलावा नाक के बीच छेद कर छोटी बालीनुमा नथ भी पहनी जाती है। इससे सूंघने की शक्ति तीक्ष्ण होती है। जिन्हें अक्सर पानी में काम अधिक करना पडता है, वे नथ धारण करें, तो उन्हें कफ आदि विकार कम होंगे।
बाली या झुमके : कान के निचले हिस्से में छेद कर बाली या झुमके धारण करने से गले, आंख और जिव्हा रोग नहीं होते हैं। कान के मध्य में छेद करने से सुनने की शक्ति बढ जाती है। और इसके अतिरिक्त टांसिल जैसे विकार नही होते हैं। कान के ऊपरी हिस्से को बांधने और उसमें बाली धारण करने पर हार्निया की बीमारी नहीं होती है। मासिकधर्म नियमित रहता है व हिस्टीरिया के दौरे नहीं पडते हैं।
बाजूबंध : बाजूबंध को पुरूष व स्त्री दोनो धारण करते हैं। यह कंधे और कोहनी के मध्य भाग पर धारण किया जाता है। इसे धारण करने से ह्वदय में शक्ति का संचार होता है। कंधे व बाजू के दर्द की शिकायत नहीं होती, हाथ सुन्न नही पडते। पुरूषों में पौरूष व çस्त्रयो में संयम शक्ति का विकास होता है।
हार : लॉकेट लगे हुए हार, गरदन की ओर मुडे हुए दोनों गोल सिरे गरदन से गुजरने वाली नाडियों पर इस प्रकार का दबाव डालते हैं, जिसके कारण आंखों की ज्योति दीर्घकाल तक बनी रहती है। इससे रीढ की हडि्डयों के रोग नहीं होते। वाणी की मधुरता बनी रहती है। लॉकेट दिल और दिमाग को प्रभावित करता है। पुरूषों की तुलना में महिलाओं को सरवाइकल स्पोंडिलाइटिस रोग कम होते हैं, क्योंकि छोटे, मध्यम और लंबे लॉकेट लगे मंगलसूत्र या हार धारण करती हैं। इसके अतिरिक्त महिलाओं में ह्वदय रोग भी कम होते हैं। मैगनेटिक गहने एक्यूप्रेशर पद्धति के आधार पर बनाए जाते हैं, जो सिर दर्द, ह्वदय रोग, मानसिक व्याधि व नेत्र रोग में लाभ पहुंचाते हैं।
अंगूठियां : पांचों उंगलियों में अलग-अलग तरह की अंगूठियां धारण कर विभिन्न तरह के रोगों से दूर रहा जा सकता है जैसे, अर्धमूर्छा, हाथ व उंगलियौं में शिथिलता, ज्वर, दमा व कफ की शिकायत नहीं होती। कनिष्ठा (छोटी उंगली) में अंगूठी पहनने से छाती में होने वाली घबराहट और तनाव से राहत मिलती है। ज्योतिष विज्ञान के मुताबिक नवरत्न युक्त अंगूठियां भी पहनी जा सकती है।
कंगन : हाथ में ब्रेसलेट, चूडा, चूडियां आदि पहनने से शरीर के विभिन्न हिस्से में हो रहे दर्द दूर करने में मदद मिलती है। रक्तसंचार में वृद्धि होती है। दांत का दर्द, हकलाना, बहरापन आदि के उपचार में भी यह लाभदायक सिद्ध होता है। घबराहट, छाती का दर्द, मानसिक रोग, स्पप्न दोष, नींद न आना, भयग्रस्त होना, उबकाई आना आदि जैसे दोष से दूर रखने के साथ स्मरण शक्ति बढाने में भी लाभदायक होता है।
करधनी : इसे धारण करने से महिलाओं में मासिकधर्म और पाचन क्रिया नियमित रहती है। कमर दर्द नहीं रहता, रीढ की हड्डियों से संबंधित विकार नहीं होते हैं। करधनी पहनने से नाभि दोष नहीं होता, साथ ही होंठो व त्वचा पर अनुकूल प्रभाव होता है।
पैर के अंगूठे का छल्ला : बदन दर्द, दस्त आदि से राहत मिलती है। पाचन क्रिया शक्ति बढती है।
बिछुए : पैर के बीच की उंगली जिससे बिछुआ पहना जाता है, सीधे तौर पर महिला की सेक्सुअल लाइफ को प्रभाावित करती है। संतुलित और नियंत्रित यौन इच्छा के साथ-साथ प्रजनन क्षमता भी अच्छी बनी रहती है।
नए दौर के गहने
गहने पहनने से महिलाएं और भी सुंदर दिखती है। इसके अलावा यह एक अच्छा इन्वेस्टमेंट पोल्की का चलन है। पारंपरिक होने के कारण महिलाएं पोल्की डिजाइन को बहुत शौक से पहनती हैं। मॉडर्न युग में रूटीन में पहनने के लिए हल्के गहने भी बनाए जाते हैं। आजकल नथ और नाक की लौंग के 12-13 खास डिजाइन हैं। लौंग सबसे छोटा गहना होता है, लेकिन खूबसूरती से बनया गया लौंग महिला के चेहरे पर रौनक ला देता है। मीनाकारी, रूबी, डायमंड और प्लेन गोल्ड की डिजाइन में लौंग उपलब्ध होते हैं।
नथ 25 पैसे के सिक्के जितनी बडी या उससे थोडी बडी होती है जो ग्रहकों की डिमांड के मुताबिक बनायी जाती है। राजस्थानी नथ डांडला के नाम से मशहूर हैं। जो लगभग 980 मिली ग्राम में बनायी जाती है। दो लाल मोतियों के बीच सफेद मोती बेहद खूबसूरत लगता है। राजस्थानी विवाह के अवसर पर दुल्हन का नथ पहनना जरूरी होता है, इसलिए वह बहुत शौक से अपनी पसंद के डिजाइन की नथ पहनती है। नाक पर नथ या लौंग की जगह छोटी बालियां पहनने का भी ट्रेंड है, जिसे वेस्टर्न या ट्रेडिशनल दोंनों तरह की डे्रसेज के साथ पहना जा सकता है। नथ मोती, स्टोन, मीनाकारी, प्लेन सोने और नवरत्न सोने में बनायी जाती है।
आजकल फ्यूजन स्टाइल की ज्वैलरी भी पसंद की जाती है। शिफॉन हो या सिल्क साडियां, युवतियां उन पर कमरबंद पहनना पसंद करती हंैं। सिंह इज किंग फिल्म के एक गीत में कैटरीना कैफ ने अपनी पतली कमर पर कमरबंध पहनी है जिससे कमर और भी खूबसूरत लगती है। फ्यूजन कमरबंध का चलन आजकल ज्यादा है, लेकिन पारंपरिक डिजाइन भी कमतर नहीं है। इन दिनों सोना महंगा है, लेकिन भारी गहनों के विकल्प के रूप में हल्की ज्वेलरी भी डिजाइन की जा रही है। इसके अलावा चंादी के साथ जरकन डायमंड का तालमेल भी खूब सराहा जा रहा है।
ज्वेलरी से एलर्जी
आजकल महिलाएं डे्रस से मैच करती तरह-तरह की जंक, टेराकोटा या वुडन ज्वेलरी पहनना पसंद करती हंै। लेकिन जंक ज्वेलरी पहनने से पहले यह जांच लें कि आपको ये गहने सूट करते हैं भी या नहीं। कई बार आर्टिफिशियल ज्वेलरी पहनने से त्वचा पर लाल चकत्ते, खुजली, फफोले व दाने उभर आते हैं और त्वचा में पस भी पड जाती है। कई महिलाओं को कान व नाक के गहने पहनने के 1 घंटे के भीतर खुजली होने लगती है और कुछ घंटो के अंदर त्वचा पर घाव या फफोले हो जाते हैं। धातुओं से एलर्जी का प्रभाव ज्यादातर त्वचा की ऊपरी सतह पर ही होता है। कई बार यह घाव इतना भयंकर होता है कि दाग को मिटने में सालों लग जाते हैं, इसलिए ऎसी धातुओं को शरीर पर धारण ना ही करे, तो बेहतर है। यों तो सोने, चांदी, हीरे या किभी भी धातु से एलर्जी हो सकती है, पर ज्यादातर एलर्जी आर्टिफिशियल ज्वेलरी में मौजूद विकल्प निकल धातु से होती है। अमेरिकन कॉन्टेक्ट डर्माटाइसिस सोसाइटी के निदेशक झरिन वारशॉ के मुताबिक 10 में से 1 महिला को ज्वेलरी से एलर्जी हो जाती है। बेहतर होगा कि अगर आप अपने लिए जंक ज्वेलरी खरीदने जा रही हैं, तो पहले यह देख लें कि किसी भी तरह की धातु से आपको एलर्जी तो नहीं। एक बार गहने पहनने पर ही आपको खुजली और जलन शुरू होने लगे, तो इन्हें उतार दें। उचित इलाज से आर्टिफिशियल ज्वेलरी से होने वाली एलर्जी से 2 दिन में आराम आ सकता है।