करेंगे गोवर्धन पूजा तो खिलखिलाती रहेगी हमेशा जीवन की बगिया
आज है गोवर्धन का यानी कि श्री कृष्णा का दिन है। इन्हें रिझाने पर वे न
केवल खुश होते हैं बल्कि समृद्ध होने और प्रसन्नर रहने का वर भी देते हैं।
इस दिन खास मुहूर्त में पूजा करने से सभी अटके काम भी पूरे होने लगते हैं।
पौराणिक प्रथाओं के अनुसार इस दिन शरीर की तेल मालिश करके स्नान करने के
लिए कहा गया है| सभी श्रद्धालु इस दिन घर के द्वार पर गोबर से गोवर्धन
पर्वत की प्रतीक रूप निर्मित करते हैं| तत्पश्चात गोबर का अन्नकूट बनाकर
उसके सम्मुख श्रीकृष्ण, गायें, ग्वाल-बालों, इंद्रदेव, वरुणदेव, अग्निदेव
और राजा बलि का पूजन किया जाता है|
दीपावली के दूसरे
दिन सायंकाल में ब्रज तीर्थ क्षेत्र में गोवर्धन पूजा विशेष रूप से मानई
जाती है। द्वापर तक लोग इंद्रदेव का पूजन कर उन्हें विशाल छप्पन भोग लगाया
करते थे। ये पकवान तथा मिठाइयां इतनी मात्रा में होती थी कि उनका पूरा
पहाड़ ही बन जाता था। श्रीकृष्ण ने इंद्र का पूजन बंद करवाकर इस दिन गौ
पूजन प्रारंभ करवाया।
इसी दिन श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का
मानमर्दन कर गिरिराज पूजन किया था। वेदों के अनुसार इस दिन वरुण, इंद्र एवं
अग्नि देव के पूजन का विधान है। इस दिन गाय-बैलों को स्नान करवाकर, फूल
माला, धूप, चंदन आदि से पूजन किया जाता है। इस दिन मंदिरों में अन्नकूट
किया जाता है। सायंकाल गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर उसकी पूजा की जाती है।
इसमें अपामार्ग अनिवार्य रूप से रखा जाता है। जल का लोटा व
जौ लेकर गोवर्धन की सात परिक्रमाएं लगाई जाती हैं। गोवर्धन व अन्नकूट के
विशेष पूजन व उपाय से व्यक्ति का तन स्वस्थ होता है। मनोविकार दूर होते हैं
तथा धन की किल्लत खत्म होती है।
इस संबंध में एक लोकप्रिय कथा है। कथानुसार भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र
का अभिमान चूर करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर
संपूर्ण गोकूल वासियों की इंद्र के कोप से रक्षा की थी। इन्द्र के अभिमान
को चूर करने के बाद भगवान श्री कृष्ण ने कहा था कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा
के दिन 56 भोग बनाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा करें। गोवर्धन पर्वत से गोकुल
वासियों को पशुओं के लिए चारा मिलता। गोवर्धन पर्वत बादलों को रोककर वर्षा
करवाता है जिससे कृषि उन्नत होती है। इसलिए गोवर्धन की पूजा की जानी चाहिए।
विशेष पूजन विधि
शाम के समय गोवर्धन, गाय और श्रीकृष्ण
का पूजन करें। गौघृत का दीप करें, सुगंधित धूप करें, गुलाबी फूल चढ़ाएं,
गुलाल चढ़ाएं, दूध, दही, गंगाजल चढ़ाएं, तथा शहद व बताशे का भोग लगाएं तथा इस
विशेष मंत्र से 1 माला जाप करें। पूजन के बाद शहद व बताशे ब्राह्मण को दान
दे दें।
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