आईआईटी में भी लडकियों ने बाजी मारी!

आईआईटी में भी लडकियों ने बाजी मारी!

एचआरडी मिनिस्ट्री ने आईआईटीज को सजेशन दिया है कि एंट्रेंस टेस्ट में लडके और लडकी के बराबर मार्क्स होने पर लडकी को एडमिशन दिया जाए। इससे लडकियों की बल्ले-बल्ले हो गई है, तो लडके अपसेट नजर आ रहे हैं-
वैसे तो महिलाएं अपने दम पर ही बहुत कुछ हासिल कर रही हैं, लेकिन अब सरकार ने भी उनके फेवर में स्टेप उठाने शुरू कर दिए हैं। आईआईएम जैसे टॉप इंस्टिट्यूट्स में तो पहले ही एंट्रेंस टेस्ट में लडकियों को प्रेंफरेंस देने की बात हो रही है।

अब खबर है कि एचआरडी मिनिस्ट्री ने आईआईटी वालों को भी लडकियों के फेवर में स्टेप लेने के लिए कहा है। अगर सब कुछ ठीक रहा, तो आईआईटी एंट्रेंस टेस्ट में लडकियों को पे्रफरेंस मिला करेगी। यानी कि अगर एंट्रेंस टेस्ट में किसी लडके और लडकी के मार्क्स बराबर हैं, तो लडकी को एडमिशन मिलेगा। अब लडकों का क्या होगा!

बेशक, लडकियों के फेवर में हुए इस फैसले से सबसे ज्यादा अपसेट लडके ही हैं। उनका मानना है कि लडकियां तो वैसे भी ज्यादा मेहनत करते अच्छे मार्क्स हासिल कर लेती हैं। अगर ऎसा फैसला लागू करना ही था, तो इसकी ज्यादा जरूरत लडकों को है। आप देख ही रहे हैं कि हाईस्कूल और इंटरमीडिएट हर जगह टॉपर्स के मामले में लडके अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं। फिर भला लडकियों पर इतनी मेहरबानी क्यों।
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लडके जहां एचआरडी के इस सजेशन से इतने परेशान हैं, वहीं ल़डकियां इसे ज्यादा गम्भीरता से नहीं ले रही हैं। उनका मानना है कि अभी उन्हें आगे बढाने के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है। लडकियों का कहना है कि अभी तो लडकियों के फेवर में कोई फैसला हुआ भी नहीं है, तो फिर इतना हंगामा क्यों हो रहा है। वैसे भी, बराबर मार्क्स होने पर लडकियों को पे्रफर करना इतनी बडी मेहरबानी भी नहीं है। सरकार ने वुमन रिजर्वेशन बिल तो पार्लियामेंट में अटका रखा है और इस तरह के फैसले लेकर लडकों को हमारे खिलाफ करने की प्लानिंग कर रही है। वैसे भी, अभी यह सिर्फ सजेशन ही है।

я┐╜अगर यह इंप्लिमेंट भी हो जाता है, तो बराबर मार्क्स लाने वाली लडकी का एडमिशन होने पर कौन सा पहाड टूट पडेगा।

я┐╜फिक्स कर दो सीटें स्टूडेंट्स के साथ महिला संगठन भी सरकार के इस सजेशन से इत्तफाक नहीं रखते।
я┐╜जेंडर बैलेंस के लिए सरकार को इस तरह के फैसले जरूर लेने चाहिए। सचाई यह है कि अभी भी लडकियों को आगे बढने के उतने मौके नहीं मिल पा रहे हैं, जितनी उन्हें जरूरत है।
я┐╜बेहतर होगा कि सरकार लडकियों के लिए आईआईटी जैसे टॉप इंस्टिट्यूट्स में कुछ सीटें रिजर्व करे दे, ताकि उन्हें तरक्की की राह पर बढने के बेहतर चांस मिल सकें। शायद अब सरकार को ही इस सजेशन पर दोबारा सोचना होगा। जाहिर है, जब लडके और लडकियां दोनों ही इससे खुश नहीं हैं, तो आखिर यह है किसके लिए!