Ganesh Chaturthi 2019 : गणेश चतुर्थी पर नहीं करें चांद के दर्शन! जानिए क्या है कारण
दक्षिणावर्त गणपति की मूर्ति का रहस्य...
गणेश जी की सभी
मूर्तियां सीधी या उत्तर की ओर सूंड वाली होती हैं। यह मान्यता है कि गणेश
जी की मूर्ति जब भी दक्षिण की ओर मुड़ी बनाई जाती है तो वह टूट जाती है।
कहा जाता है कि यदि संयोगवश यदि आपको दक्षिणावर्ती मूर्ति मिल जाए और उसकी
विधिवत उपासना की जाए तो अभीष्ट फल मिलते हैं। गणपति जी की बाईं सूंड में
चंद्रमा का प्रभाव और दाई में सूर्य का माना गया है।
प्राय: गणेश जी
की सीधी सूंड तीन दिशाओं से दिखती है। जब सूंड दाईं ओर घूमी होती है तो
इसे पिंगला स्वर और सूर्य से प्रभावित माना गया है। ऐसी प्रतिमा का पूजन,
विध्न विनाश, शत्रु पराजय, विजय प्राप्ति, उग्र तथा शक्ति प्रदर्शन आदि
जैसे कार्यों के लिए फलदायी माना जाता है। जबकि बाईं ओर मुड़ी सूंड वाली
मूर्ति को इड़ा नाड़ी व चंद्र प्रभावित माना गया है।
ऐसी मूर्ति की पूजा
स्थाई कार्यों के लिए की जाती है। जैसे शिक्षा, धन प्राप्ति, व्यवसाय,
उन्नति, संतान सुख, विवाह, सृजन कार्य, पारिवारिक खुशहाली के लिए किया जाता
है। सीधी सूंड वाली मूर्ति का सुश्ज्ञाुम्रा स्वर माना जाता है और इनकी
आराधना ऋद्धि- सिद्धि, कुण्डलिनी जागरण, मोक्ष, समाधि आदि के लिए सर्वोत्तम
मानी गई है। संत समाज ऐसी मूर्ति की ही आराधना करता है। सिद्धि विनायक मंदिर में दाईं ओर सूंड वाली मूर्ति है। इसीलिए इस मंदिर की आस्था और आय, आज शिखर पर है।