आंखें बोलती हैं

आंखें बोलती हैं

हिन्दी साहित्य के महान कवि बिहारी ने अपनी नायिका के सौन्दर्य का चित्रण करते समय लगभग सभी सीमाएं पार कर दीं परन्तु उनके "गागर में सागर" भरे काव्य में नायिका का सौन्दर्य तब भी नहीं समाया और मानों वह छलक कर बाहर आने लगा हो। न केवल कवियों की अपितु भारतीय सिनेमा के गीतकारों ने भी अपने गीतों में एक ओर यदि शब्दों को महत्व दिया है तो उससे कहीं ऊपर नायक या नायिका की आँखों के सौन्दर्य की बात अधिक की है। वे आँखें जो जुबां बन जाती हैं और बिना कुछ कहे ही सब कुछ कहने की क्षमता कुछ पलों में जुटा लेती हैं और सामने बैठा हुआ शख्स आसानी से ही बिना कुछ कहे सुने ही सब समझ जाता है। अभिव्यक्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन जुबां नहीं भाव से भरी हुई आँखें हैं। इस संदर्भ में यदि हम कुछ गीतों या गजलों की बात करें तो उनमें हम "इशारों-इशारों में दिल लेने वाले" या फिर- "एक शाम की दहलीज पर बैठे रहे वो देर तक आंखों से की बातें बहुत मुंह से कहा कुछ भी नहीं" इनके आधार पर हम आँखों के सौन्दर्य और अभिव्यक्ति दोनों को समझ सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि आँखों के माध्यम से दिल जिन्हें पसंद करे या जिसके लिए मन में अपार स्नेह उम़ड रहा हो, वे शारीरिक रूप से सुन्दर हों बल्कि इसके लिए आवश्यक है कि उन आँखों में पूरी तरह डूबा जाए और भावनाओं के उतार-चढ़ाव को इनके के माध्यम से पढ़ने की कोशिश की जाए। आंखों की सुंदरता या कुरूपता ग्रहों की देन है। आंखें कुरूप नहीं होतीं अपितु उसमें से प्रदर्शित होने वाले भाव या दृष्टि ही उन्हें सुंदरता या कुरूपता का दर्जा सामने वाले से दिलाते है। अब हम विभिन्न राशि के व्यक्तियों की आँखों की चर्चा करेंगे और इनके माध्यम से यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि ग्रह आपकी आंखों के माध्यम से क्या कह रहे हैं।
मेष राशि और आंखें: मेष राशि के स्वामी मंगल होते हैं और इस राशि के व्यक्ति की आँखों में सेनापति की पक़ड मजबूती से बनी होती है अर्थात् ये सामने वाले के भाव और चेहरा बखूबी पढ़ लेते हैं और केवल इनकी दृष्टि ही लगभग शत्रु को परास्त करने में सफल होती है। तल्ख दृष्टि, रोबदार आँखें पर्याप्त हैं किसी को यह अहसास कराने के लिए कि तुम्हारी फलां-फलां बात से न तो हम सहमत हैं और ना ही हमें पसंद आई है इसलिए प्रतिक्रिया भी  तीव्र आता है और पर्याप्त होता है किसी की एक विशेष गतिविधि को रोकने के लिए। संभव है कि यदि मेरी दृष्टि से देखा जाए तो यह सुंदरता है कि अनुशासन बना रहे परन्तु सामने वाले की दृष्टि में यही एक कुरूपता का रूप ले ले और मेरे विषय में यह प्रचलित हो जाए कि आँखें कितनी भयानक हैं। मंगल की अग्नि संभवत: मेरे स्वभाव में है और आँखों के माध्यम से व्यक्त भी हो रही है अत: हमें यह बात ध्यान में रखनी होगी कि सौन्दर्य इसमें नहीं कि हम उसे किस दृष्टि से देख रहे हैं अपितु सौन्दर्य वो है जो सामने वाला हमारे प्रति महसूस कर रहा है या जो सच है।
वृषभ: एक ठोस व्यक्तित्व के साथ धीर-गंभीर स्वभाव और वही आँखों से टपकता हुआ दिखाई देता है। जो स्नेह दे उसके लिए अपना जीवन निकाल कर दे दो। इसके लिए जुब़ान की आवश्यकता नहीं होती है बल्कि आँखों से वृषभ राशि वाले अहसास करा देते हैं। इसके विपरीत यदि करूणा अथवा स्नेह का भाव खत्म हो तो यही आँखें कठोरता की प्रतिमूर्ति बन जाती हैं। यह अनुमान लगाना कठिन हो जाता है कि किस पल यह आँखें क्या कह जाएंगी, क्या इनसे सौन्दर्य छलकेगा? या वह कठोरता छलकेगी जो एक अ़डयल रवैये को अपनाकर येन-केन प्रकारेण अपनी बात मनवा लेगी और अपनी कठोरता का परिचय अनकहे ही दे जाएगी।
मिथुन: बुध की कोमलता इन आँखों में दिखाई देती है तो दूसरी ओर मार्केटिंग का श्रेष्ठ कौशल। यहाँ मार्केटिंग से वस्तुओं की मार्केटिग से नहीं है अपितु अपने भावों और वाणी दोनों से सामने वाले को आकषित करके अपना हित साधन कर लेना है, क्या इसे हम सौन्दर्य नहीं कहेंगेक् निश्चितत: कहेंगे, हमारा काम (मिथुन राशि वाले का) तो मतलब निकालने और बाजी मार लेने से है उसके लिए भले ही हमें गधे को भी बाप बनाने की कहावत को चरितार्थ करना प़डे। यहाँ बुध की वाणी की बात नहीं है बल्कि उनके भाव से है जो व्यक्त करते हैं या सामने वाले को अपनी कलाओं से रिझाते हैं। दोहरी बात करना, उसका मतलब दूसरा खोजे और समय प़डने पर या बात स्वयं पर आने पर अपनी बात से पीछे हटें। इन आँखों की तुलना उस छोटे बच्चो से की जा सकती है जो अपनी बात मनवाने के लिए पहले तो रिझाता है और फिर ना रीझने से जिद में आकर तो़ड-फो़ड की प्रक्रिया अपनाकर काम निकाल लेता है।
कर्क: पनीली आँखें, अपनी ओर आकर्षित करती हुई और जरूरत प़डने पर कठोरता की पराकाष्ठा। इन आँखों में विशेष रूप से लोगों को अपने अनुसार ढालने का गुण सदैव ही विद्यमान रहता है जहाँ इनकी बात मानी जाती रहे, यह अपना समस्त स्त्रेह लुटा देंगी परंतु जरा अवहेलना हुई नहीं कि निर्मम प्रहार हुआ। इनकी तुलना उस माँ से की जा सकती है जिसके लिए संतान सर्वस्व है परंतु जैसे ही बच्चो के कदम डगमगाए, वहां इतनी कठोरता का परिचय मिल जाएगा कि फिर व्यक्ति सिर ही ना उठा सके। कठोरता आँखों से कूट-कूट कर झलकती है और काफी होती है व्यक्ति को यह एहसास कराने के लिए यदि स्त्रेह दिल से किया जाए तो नफरत भी उतने ही दिल से की जाएगी। ये भाव आँखों से ही झलक जाते हैं। क्या इन्हें हम सौन्दर्य कहें या फिर कुरूपता? निश्चित ही सौन्दर्य कहा जाएगा क्योंकि सिखाने के लिए कुछ कठोर होना कुरूपता नहीं अपनापन है।
सिंह: हम एक हैं और एक ही रहेंगे हमारे अलावा और कोई मैदान में नहीं रहें, ये भाव सिंह राशि की आँखों में बरबस ही दिखाई दे जाते हैं। राजा होने का गर्व दूर से ही आँखों से पहचाना जा सकता है। झपटकर चीजों को हासिल करने का भाव भी आसानी से इन आँखों में देखा जा सकता है। ऎश्वर्य और आराम का जीवन देकर सिंह जब किसी को सुरक्षा देता है तब यह भूल जाता है कि शिकार स्वयं को ही करना प़डेगा अन्य कोई मारकर नहीं लाएगा तो पश्चाताप भी उन्हीं आँखों की देन होता है। क्या खूबसूरत सम्मिश्रण है अपनापन, अधिकार और पश्चाताप का, क्या इसके अतिरिक्त किसी और सौन्दर्य की आवश्यकता प़डती है, मैं समझता हू नहीं।
कन्या: एक छोटी बालिका, जो छोटी सी इच्छा पूरी हो जाने पर खिलखिला उठती है और उसकी आँखों में अभूतपूर्व चमक दिखाई देनी लगती है वही आँख जब किसी के प्रति अपना क्रोध प्रकट करती है तो उनसे बच पाना कठिन होता है। बुध की चतुराई यदि मिथुन में दिखाई देती है तो बुध का भोलापन कन्या की आँखों में देखा जा सकता है। एक ऎसा राजकुमार जो प्यार से बहलाने पर बहल जाए और क्रोध में बिफर कर सबकुछ तहस-नहस कर डाले। अपनी ओर आकर्षिक करने की कला भी इन आँखों से सीखी जा सकती है। जो आँखें सिखाने में समर्थ हैं, उनके सौन्दर्य का गुणगान भला कैसे ना किया जाए।
तुला: संयत भाव हरदम आँखों में रहें, एक दृष्टि से देखने की कोशिश की जाए तो सामने वाला आसानी से समझ ले कि मानों वही सब कुछ है, यह एहसास दिलाना तुला की आँखों में आसानी से पढ़ा जा सकता है। यदि सामने दस व्यक्ति बैठे हैं और किसी एक परिणाम की अपेक्षा में हैं तो सभी ये महसूस करेंगे कि उन्हीं के साथ न्याय होगा, उन्हीं के पक्ष में बात जाएगी, इसको बखूबी पढ़ा जा सकता है।
वृश्चिक: वृश्चिक राशि के व्यक्ति की आंखों में गहराई होती है जिसकी थाह पाना लगभग नामुमकिन होता है। वृश्चिक राशि की आंखें बेहद अभिव्यक्त होती हैं। जल तत्व राशि होने से एक अलग सी चमक दिखाई देती है। प्यार, गुस्सा, नफरत सभी भावनाएं इनकी आंखों में एकदम साफ परिलक्षित होती हैं परन्तु यदि वृश्चिक राशि का व्यक्ति न चाहे तो आंखों में कोई भाव दिखाई नहीं देगा भले ही दिल में ज्वार भाटा उठ रहा हो, अपने भावों को यूं छुपा ले जाना और दूसरों के सामने सामान्य दिखाई देना, इसे केवल और केवल सौन्दर्य ही कहा जा सकता है कि ज्वार तो उम़ड-घुम़ड रहा है, मन में बेचैनी है परन्तु आंखें कुछ और बयां कर रही हैं।
धनु: धनु राशि की आंखों में दृढ़ आत्मविश्वास की झलक देखने को मिलती है। इन लोगों से बहुत देर तक आंखों में आंखें डालकर बात करना मुश्किल होता है क्योंकि इनका आत्मविश्वास प्राय: सामने वाले के विश्वास को डिगा देता है। कभी-कभी आत्मविश्वास की कठोरता, कोमल भावनाओं को आंखों से प्रकट नहीं होने देती। प्राय: इनकी वाणी और आंखों के भाव विरोधाभासी होते है जिस कारण लोग इन आंखों की कठोरता को तो महसूस कर पाते हैं परन्तु जो कोमल भावनाएं अपनी ज़डों से जु़डी रहने की होती हैं और स्नेह के भाव को दिखा नहीं पातीं इसलिए कई बार इनको गलत समझ लिया जाता है और ये लोगों की बेरूखी का शिकार भी हो जाते हैं।
मकर: मकर राशि पृथ्वी तत्व राशि है। एक ठहराव सा दिखता है इनकी आंखों मे। इनकी आंखों में उत्साह की कमी रहती है। मकर राशि के व्यक्ति में कितनी ही महत्वाकांक्षा हो परन्तु संतोष भी बहुत अधिक होता है जो उनकी आंखों मे दिखता है। इनके करीबी प्राय: इनसे शिकायत करते हैं कि ये अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते।
कुंभ: कुंभ अत्यन्त शुभ राशि है। कुंभ राशि के व्यक्ति की आंखों मे भाव बहुत तेजी से बदलते हैं। इनमें एक प्रमुख गुण होता है कि यदि ये चाहें तो चेहरे को सपाट और आंखों को भावहीन कर लेते हैं। यद्यपि यह कार्य ये इतनी चतुराई से नहीं कर पाते जितनी चतुराई से वृश्चिक राशि वाले कर लेते हैं। इनका करीबी व्यक्ति आंखों की किनारी में असल भाव आसानी से पढ़ सकता है।
मीन: इनकी जुबान से अधिक इनकी आंखें बोलती हैं। प्रेम, दया, करूणा के भाव इनकी आंखों मे सजीव हो उठते हैं। अन्य भाव भी आसानी से पढ़े जा सकते हैं परन्तु उनकी गहराई का अनुमान लगाना मुश्किल होता है। मीन राशि का व्यक्ति कितनी भी सफाई से झूठ बोले परन्तु यदि आंखों को गौर से देखा जाए तो इनका झूठ आसानी से पक़डा जा सकता है। जल राशि होने के कारण जल सैलाब सदा इनकी आंखों मे तैरता है और प्राय: बांध तो़डकर यह सैलाब गालों पर ढुलक जाता है।
आभार व्यक्त एस्ट्रोबलैसिंग डॉट कॉम
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