मन की आवाज को नजरंदाज करना ठीक नहीं

मन की आवाज को नजरंदाज करना ठीक नहीं

कई बार हम महत्वपूर्ण कार्य करने के पहले अपने आप से कई प्रकार के प्रश्न पूछते हैं। इन प्रश्नों में कार्य की सफ लता से लेकर असफ लता और कई और बातें भी शामिल रहती है। व्यक्ति स्वयं से प्रश्न पूछते समय स्वयं की सकारात्मक बातों को पहले रखता है, पर भीतर ही भीतर नकारात्मक परिदृश्य भी उम़डता रहता है। इस कारण कई बार व्यक्ति सफ लता निश्चित होने के बावजूद असफ लता हाथ लगती है।