
अचानक नहीं होती डायबिटीज की परेशानी, ये आदतें देती हैं बुलावा
नई दिल्ली। आज की जीवनशैली ऐसी है कि अच्छा खानपान और व्यायाम दोनों
ही नहीं मिल पाते हैं। आगे निकलने की होड़ और समय की कमी तन और मन दोनों
को प्रभावित कर रही है और इससे शरीर धीरे-धीरे बीमारियों की जद में आने
लगता है।
आज के समय में डायबिटीज सबसे ज्यादा तेजी से होने वाली बीमारी
है, जो बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों में देखी जा रही है। डायबिटीज को लेकर
धारणा है कि ये मीठा खाने से होती है लेकिन ऐसा नहीं है। हमारी रोजमर्रा
की आदतें ही डायबिटीज को न्योता देती हैं।
डायबिटीज की समस्या
लाइफस्टाइल से जुड़ी है, जिसमें ग्लूकोज में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है,
जिसका संबंध पैंक्रियाज से होता है। पैंक्रियाज इंसुलिन हार्मोन बनाने में
मदद करता है और अगर पैंक्रियाज इंसुलिन कम बनाता है या बनाता ही नहीं है,
तब रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ने लगती है।
डायबिटीज को हमेशा मीठे
से जोड़ा गया है। सिर्फ मीठा ही नहीं, गलत समय पर खाया गया हर पौष्टिक भोजन
भी डायबिटीज का कारण बन सकता है। बाहर का गंदा और तला हुआ खाना, जंक फूड,
मैदा और डिब्बाबंद उत्पादों का सेवन करना डायबिटीज के कारणों में से एक
हैं।
आज की जीवनशैली ऐसी हो गई है कि सारा दिन बैठकर काम करना होता है
और चलना बहुत कम हो गया है। ये डायबिटीज होने का मुख्य कारण होता है। कम
गतिविधि से शर्करा रक्त में ही रहती है, शरीर उसे उपयोग में नहीं लेता है
और धीरे-धीरे इंसुलिन बढ़ने लगता है। नींद की गड़बड़ी हॉर्मोन के असंतुलन
को दिखाती है।
नींद पूरी न होने की वजह से इंसुलिन पर असर पड़ता है।
नींद हमारे पूरे
सिस्टम को री-स्टार्ट करने में मदद करती है। इसके साथ ही लगातार तनाव लेना
भी डायबिटीज को बुलावा देने जैसा है। तनाव लेते वक्त कोर्टिसोल हार्मोन
ज्यादा बनने लगता है, जिससे बीपी और रक्त में शर्करा की मात्रा प्रभावित
होती है। बार-बार खाने की आदत भी डायबिटीज का कारण बन सकती है। बार-बार
खाने की वजह से इंसुलिन को आराम नहीं मिल पाता है। पेट खाना पचाने में ही 2
घंटे लेता है, और दोबारा खाना इंसुलिन और रक्त में शर्करा को बढ़ाने का
मुख्य कारण है। -आईएएनएस
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