सीएसआर के इंडिपेंडेंस स्ट्रीम के रूप में उभरे

सीएसआर के इंडिपेंडेंस स्ट्रीम के रूप में उभरे

नए कम्पनी बिल ने कम्पनियों के लिए कॉपरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी सीएसआर को अनिवार्य बना दिया है। इसके तहत कम्पनियों को नेट प्रॉफिट का नेट प्रॉफिट का 2 फीसदी सोशल वेलफेयर पर खर्च करना होगा। इससे सीएसआर के इंडिपेंडेंट स्ट्रीम के रूप में उभरने की उम्मीद है।

कुछ कम्पनियां सीएसआर में ज्यादा इंडिपेंडेंट प्रोफेशनल लोगों को शामिल करने के लिए मौजूदा प्रोग्राम को रिव्यू कर रही हैं। इससे कॉम्पिटिटिव सैलरी, जॉब क्रिएशन और टॉप पर ज्यादा ताकतवर प्रोफेशनल की जरूरत पैदा होगी। इस अमेंडमेंट से इंडिया में सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी सेक्टर को ज्यादा कॉपरेट अटेंशन अट्रैक्ट करने में मदद मिलेगी। इससे फाइनैन्शल और ह्यूमन कैपिटल में कैपिटल में ज्यादा इन्वेस्टमेंट होगा।

अगर शुरूआत में टॉप पर थोडी हलचल देखने को मिलती है, तो भी आखिकार इससे कॉपरेट्स में सीएसआर की बडी टीम बनेगी। ब्रांड स्ट्रैटिजी के साथ सीएसआर को अजस्ट करने के पिरामिट के टॉप पर ज्यादा जॉब्स क्रिएट होंगे। अगर कम्पनी को मौजूदा प्रोग्राम को बढाने की जरूत महसूस होती है, तो वह और प्रोफेशनल्स हायर करेगी।

जो कम्पनियां ऎवरेज नेट प्रॉफिट का 2 फीसदी सीएसआर पर खर्च नहीं कर पाएंगी, उन्हें इसकी वजह बतानी होगी। उन पर कार्रवाई की जा सकती है। पेनल्टी भी लगाई जा सकती है। अभी ज्यादातर कम्पनियो में सीएसआर ऎक्टिविटीज दूसरे मैनेटमेंट एरिया मसलन-एचआर, मार्केटिंग और कॉपरेट कम्युनिकेशन का हिस्सा हैं। कुछ कम्पनियां कम्युनिटी के साथ मिलकर इसके लिए काम कर रही हैं। वहीं, कुछ इसे सिर्फ टैक्स चुकाने की तरह कानूनी खानापूर्ति मानती हैं। हालांकि, कुछ ऎसी भी कम्पनियां हैं, जिनसे बिजनेस से सीएसआर गहरा जुडा हुआ है।