
कोविड के स्पाइक प्रोटीन का महत्वपूर्ण योगदान : शोध
न्यूयॉर्क। सार्स-कोडिव-2 के विशिष्ट स्पाइक प्रोटीन के बारे में यही समझा 
जाता रहा है कि इनसे शरीर में मौजूद स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है,
 लेकिन वैज्ञानिकों ने एक नए शोध में पाया है कि बीमारी में भी इसकी एक 
महत्वपूर्ण भूमिका है। सकुर्लेशन रिसर्च नामक जर्नल में प्रकाशित पेपर में 
दिखाया गया है कि कोविड एक वाहिकीय संबंधी रोग है। इसमें दिखाया गया है कि 
किस प्रकार से यह वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।
वैज्ञानिकों 
द्वारा किए गए शोध के निष्कर्षों से कोविड की कई असम्बद्ध जटिलताओं की 
व्याख्या करने में मदद मिली है और हो सकता है कि इससे आने वाले समय में कई 
प्रभावी थेरेपी को लेकर नए शोध के लिए दरवाजे भी खुलें।
कैलिफोर्निया
 के साल्क इंस्टीट्यूट में असिस्टेंट रिसर्च प्रोफेसर उरी मेनॉर ने कहा, कई लोगों का ऐसा मानना है कि यह श्वसन संबंधी रोग है, लेकिन वास्तव में यह
 वाहिकाओं से संबंधित है।
मेनॉर आगे कहते हैं, इसे इस प्रकार से 
समझा जा सकता है कि क्यों कुछ लोगों को स्ट्रोक आता है और क्यों कुछ और 
लोगों को शरीर के अन्य भागों में दिक्कतें आ रही हैं। इनमें समानता बस एक 
ही है कि इसका वाहिकाओं पर असर पड़ता है।
शोध में पहली बार इस 
मैकनिज्म का खुलासा हुआ है, जिसके माध्यम से प्रोटीन द्वारा संवहनी 
कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाया जाता है। इस मैकनिज्म को पहले नहीं समझा जा 
सका था। ठीक इसी तरह से वैज्ञानिकों का लंबे समय से इस बात पर शक रहा है कि
 संवहनी एंडोथेलियल कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने में स्पाइक प्रोटीन का 
योगदान रहता है, लेकिन इस बार पहली दफा इस प्रक्रिया का दस्तावेजीकरण किया 
गया।
इस शोध में टीम द्वारा एक स्यूडोवायरस का गठन किया गया, जो 
सार्स-कोविड-2 के स्पाइक प्रोटीन से घिरा रहा। हालांकि इसमें असली का कोई 
वायरस नहीं रहा। इस स्यूडोवायरस के संपर्क में आकर जानवरों के बनाए गए मॉडल
 के फेफड़े और धमनियों पर असर पड़ा। इससे साबित होता है कि स्पाइक प्रोटीन 
बीमारी के लिए पर्याप्त है। टिश्यू के सैंपल से पता चला है कि फुफ्फुसीय 
धमनी की दीवारों पर मौजूद एन्डोथेलियल कोशिकाओं में सूजन दिखाई पड़ी।
टीम
 ने लैब में इस प्रक्रिया को पुन: दोहराया, जिसमें स्वस्थ एंडोथेलियल 
कोशिकाओं को स्पाइक प्रोटीन के संपर्क में लाया गया। इसमें पता चला कि 
स्पाइक प्रोटीन ने एसीई 2 को बांधकर अन्य कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाया। 
इससे एसीई 2 के मॉड्यूल में भी रूकावट आई, जिससे माइटोकॉन्ड्रिया को नुकसान
 पहुंचा। (आईएएनएस)
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