कम्युनिकेशन में प्रवीण बनें,काम चुटकी में बनेंगे

कम्युनिकेशन में प्रवीण बनें,काम चुटकी में बनेंगे

थैंक्यू..., प्लीज..., आई एम सॉरी... जैसे शब्दों का प्रयोग अक्सर कम्युनिकेशन के दौरान होता है। कम्युनिकेशन अपने आप में काफ ी बडा, विस्तृत और आकर्षक विषय है। समाज में विभिन्न स्तरों पर संवाद की जरूरत और किस प्रकार का संवाद होना चाहिए, इस पर कई बातें निर्भर करती हैं। कॉर्पोरेट वल्र्ड में भी कम्युनिकेशन पर काफ ी ध्यान दिया जाता है। कम्युनिकेशन में सकारात्मकता आपको घर से लेकर आपके ऑफि स में सहायक सिद्ध होगी। घर पर अगर आप परिवार के किसी सदस्य के साथ बातचीत कर रहे हैं और उसमें कोई बात आपको अच्छी नहीं लगी तब आप तत्काल उस पर प्रतिक्रिया देते हैं और टोक देते हैं।
खासतौर पर जब बात युवा साथी की हो तब उसे टोकना जरूरी भी है ताकि वह अपने कम्युनिकेशन में बदलाव लाए, पर यहां भी बात सकारात्मकता की लागू होती है। अगर आपने डांट कर अपनी बात मनाने के लिए कोई बात कही तब कुछ भी नहीं होने वाला और हो सकता है कि अगली बार आप संवाद स्थापित करने का मौका ही छोड दे। जब घर की बात हो तब सॉरी शब्द से सब कुछ हो जाता है। माता-पिता के सामने अगर आपने गलत बात बोल दी है और आपको सही मायने में पछतावा हो रहा है तब एक सॉरी से काफ ी बात बन सकती है, पर ऎसा नहीं है कि आप बार-बार सॉरी कहते रहें और गलतियां करते रहें। दोस्ती, यारी हो या फि र कार्यालय में आपके किसी के साथ दोस्ताना ताल्लुक हों।
संबंधों में स्वच्छ और स्पष्ट संवाद जरूरी है और जब भी आपको लगे गाडी थोडी भी पटरी से उतर रही है तब स्वयं पहल कर संवाद स्थापित करने का प्रयत्न जरूर करें। अगर बात कॉर्पोरेट वल्र्ड की है तब कार्यालयों में ये देखा जाता है, अगर कोई कर्मचारी समय पर नहीं आता है तब छुट्टी से लेकर नोटिस देने जैसे कितने ही कार्य होते हैं। एक कंपनी में तो देरी से आने वाले को सभी स्टाफ के सामने डांटने जैसी परंपरा ही थी, परंतु इससे क्या व्यवस्थाओं में परिवर्तन लाया जा सकता है क्याक् या फि र कम्युनिकेशन इसमें किस तरह का हो सकता है, इस बारे में विचार किया जाए। पॉजिटिव कम्युनिकेशन की बात की जाए तब कार्यालय में देरी से आने वाले कर्मचारी को इस बात के लिए प्रेरित किया जाए कि चलिए आज कोई समस्या होगी बावजूद इसके आप थोडा ही देर से आए। आप कल और जल्दी आ सकते हैं। हो सकता है कि इससे कर्मचारी के मन पर थोडा असर पडे और वह जल्दी आने के लिए प्रेरित हो, जबकि दूसरी ओर अगर आपने उसे डांटा है तब उसका नकारात्मक असर ही पडेगा।
वह ऑफि स में जल्दी जरूरी आएगा, पर अपना आउटपुट जैसा चाहिए वैसा नहीं देगा। घर पर भी युवाओं या किशोरों से बातचीत के दौरान या सामान्य रूप से बातचीत के दौरान भी अगर आप किसी विवाद को समाप्त करना चाहते हैं तब बातचीत की शुरूआत जिन मुद्दों पर असहमति है उनसे न करके जिन बातों पर सहमति है, उससे करेंगे तब बात बनेगी जरूर। कॉर्पोरेट वल्र्ड में किसी भी उत्पाद या किसी अन्य कंपनी से डील करते वक्त इस बात का ध्यान रखा जाता है। दोनों साझा रूप से किन बातों पर सहमत हैं। एक बार हां की मुहर लग जाने के बाद अन्य बातें करने में आसानी हो जाती है।
थैंक्यू... प्लीज... आई एम सॉरी का उपयोग कहां, कब और कितना करना, यह भी जानना जरूरी है। कॉर्पोरेट वल्र्ड में भावनाओं की कद्र थोडी कम ही होती है और खासतौर पर सेल्स के क्षेत्र में कंपनियों को टारगेट पूर्ण होने से मतलब होता है । इस कारण सॉरी की बात ही न कहें, बल्कि तर्क के सहारे अपनी बात रखें।