सार्वजनिक रूप से अपमानित होने पर मर जाती हैं बच्चों की भावनाएँ, टूटता है भरोसा
कमजोर बनते हैं बच्चे, मर जाती हैं भावनाएँ
जो
बच्चे अपने माँ-बाप के इस तरह के व्यवहार के आदी हो जाते हैं उनकी भावनाएँ
पूरी तरह से खत्म हो जाती हैं। एक वक्त ऐसा भी आता है जब उन पर इस तरह की
बातों का कोई असर नहीं होता है। इसके साथ ही इसका सबसे बड़ा असर यह होता है
कि बच्चा अपने माँ-बाप की इज्जत नहीं कर पाता है। साथ ही उसके मन में अपने
माँ-बाप के प्रति जो भावनाएँ होनी चाहिए वह पूरी तरह से खत्म हो जाती हैं।
मानसिक क्षमताओं पर पड़ता है बुरा असर
अक्सर गुस्से में
मां-बाप बच्चों को सबके सामने ही बुरा, गलत और खराब कहने लगते हैं। इस तरह
की बातों से उन्हें लगता है कि बच्चे को गलती का एहसास होगा और वो सुधर
जाएगा या गलती दोहराने से बचेगा। कुछ प्रतिशत तक ऐसा हो भी जाता है लेकिन
वर्तमान में जो दिखायी दे रहा है उसको देखते हुए ऐसा कहा जा सकता है कि
बच्चों को सार्वजनिक रूप से गलत, कमजोर, खराब कहने से उनके अवचेतन मन पर
इसका बुरा असर पड़ता है। बार-बार कमजोर कहने से बच्चा सच में कमजोर हो जाता
है, बार-बार चोर कहने से बच्चा सच में चोरी करने लगता है। इससे बच्चे की
मानसिक क्षमताओं जैसे- याद करने, एकाग्रचित्त होने, सोचने और समझने की
क्षमता पर भी बुरा असर पड़ता है।