सास बहू के रिश्तें में आता बदलाव
आजकल की मॉडर्न सास ने बडे उत्साह से अपनी नई बहू की अगवानी की। एक दिन उन्होंने बडे प्यार से बहू से कहा कि मुझे अपनी सास नहीं मित्र समझाना। इस पर बहू ने अपनी सास से साफ शब्दो में कहा कि मुझे आप की मित्रता नहीं चाहिए। आप अपनी उम्र के लोगों से मित्रता कीजिए। यह कोई चुटकुला नहीं है। यह सासबहू के बदल रहे रिश्ते की एक तसवीर है। भारतीय परिवारों में आज सब से ज्यादा झगडे इसी रिश्ते में हैं। दहेज उत्पीडन के कानून का सदुपयोग हो रहा हो या दुरूपयोग, ऎसा कोई भी किस्सा बिना सास और ननद के पूरा नहीं होता। नए जमाने के आजाद नागरिक की तरह बहुएं तेजी से बदल रही हैं, लेकिन सासें उन्हें वही गुणवती लाजो बनाए रखना चाहती हैं।
लादा हुआ रिश्ता
सास और बहू का रिश्ता नैचुरल नहीं है, वह सामाजिक रूप से लादा हुआ रिश्ता है। कोई भी लडकी सास के लिए शादी नहीं करती। वह अपने पति के साथ एक नया घर बसाना चाहती है। शादी के बाद स्वाभाविक रूप से लडके के पास पहले जितना समय अपनी मां के लिए नहीं होता। वह मां के पास बैड कर घंटों बातें नहीं कर पाता। मांस से पूछ कर दोस्ती, नौकरी, झगडा नहीं करता। मां की हिदायतों के अनुसार वह पिकनिक पर या फिर ड्राइविंग नहीं करता। ऎसे में बहू के रूप में वह मां को दिन भर के लिए एक खिलौना दे देता है। लेकिन बहू सास के नियंत्रण में रहने की स्थिति तभी स्वीकारती है, जब उसके पीछे आर्थिक कारण होते हैं। लेकिन आज के जमाने में सासबहू के रिश्ते में बढ रहे इस उलझाव के लिए सिर्फ सास को कठघरे में खडा करना सही नहीं होगा। असल में बहू की पारंपरिक छवि के प्रति सब को अपना नजरिया बदलना होगा। एक लडका जब अपने लिए कोई लडकी पसंद करता है और मां से पूछने जाता है, तो क्या वह बताता है कि इसे मैं खाना बनाने या गृहस्थी संभालने के लिए नहीं ला रहा हूं?
भ्रम
असल में समस्या हमारे अपने दिमाग में मौजूद भ्रम के कारण है। एक बार स्पष्ट हो जाए कि पत्नी या बहू किस लिए चाहिए तो फिर समस्या नहीं होगी। घर के कामकाज में निपुण चाहिए तो वह कम पढी भी हो सकती है। अगर सास की आज्ञाकारिणी चाहिए तो वह नौकरी और करियर की महवाकांक्षा वाली नहीं होनी चाहिए। अगर यह बात पहले से दिमाग में साफ हो जाए तो सासबहू के झगडे, दहेज उत्पीडन और घरेलू हिंसा के मामले बहुत कम हो जाएं। आज जमाने की लडकियां बदल रही हैं। बहुएं भी बदल चुकी हैं। वे नई दुनिया देख रही हैं। उनके अरमान नए जमाने के हैं। यदि आत्मनिर्भर हैं या फिर बनना चाहती हैं। यदि वे सासों के साथ सहज और सुरक्षित महसूस करती हैं, तो अवश्य रहें, लेकिन यदि वे ऎसा नहीे चाहतीं तो अधीनता क्यों स्वीकार करें।
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