गौतम बुद्ध का जीवन परिचय

गौतम बुद्ध का जीवन परिचय

जानिए महात्मा गौतम बुद्ध का इतिहास और कुछ रोचक तथ्य के बारे में।

मानवता का कल्याण करने वाले गौतम बुद्ध ने बहुत कम उम्र में सांसारिक सुखों का त्याग कर कठिन
तपस्या की थी। आज भारत समेत पूरे विश्व में गौतम बुद्ध के अनुयायी है, जो बुद्ध धर्म का प्रचार प्रसार
करते हैं। गौतम बुद्ध ने सदा अहिंसा और सत्य का मार्ग लोगो को दिखाया और अपने वचनो के माध्यम से
जीवन में सफलता की राह पर चलना सिखाया। हर साल वैशाख माह की पूर्णिमा को गौतम बुद्ध का
जन्मोत्सव मनाया जाता है। कुछ किवदंतियों की माने तो इसी दिन बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। गौतम
बुद्ध ने अपने वचनों से कई लोगो का कल्याण किया जिस कारण उन्हें महात्मा के नाम से पुकारा जाने
लगा। बुद्ध के विचार (Buddha Quotes in Hindi) जीवन में सफलता और मन को शांति देते हैं। वैशाख

पूर्णिमा को बुद्ध जयंती या बुद्ध पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन गौतम बुद्ध का जन्म उत्सव मनाया जाता है।
इस अवसर पर आप भी अपने परिजनों और दोस्तों को बुद्ध पूर्णिमा कोट्स इन हिंदी शेयर करें। तो चलिए
आपको बताते हैं बुद्ध का जीवन परिचय और उनसे जुड़ें कुछ रोचक तथ्य।

गौतम बुद्ध का जीवन परिचय - Buddha History in Hindi

लुम्बिनी में जन्में गौतम बुद्ध के पिता राजा शुद्धोधन थे। बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय
शाक्य कुल में हुआ था। गौतम बुद्ध का नाम जन्म के बाद सिद्धार्थ रखा गया था। उन्होने गुरु विश्वामित्र के
पास वेद और उपनिषद्‌ की शिक्षा ली साथ ही साथ राजकाज और युद्ध-विद्या सीखी। बचपन से वह कुश्ती,
घुड़दौड़, तीर-कमान चलाने में माहिर थे। बचपन बीतने के बाद ही गौतम बुद्ध ने राजपाठ का मोह छोड़कर
ज्ञान की तलाश शुरू कर दी थी। उन्होंने कई वर्षों तक कठिन तपस्या की और ज्ञान बटोरा। बिहार में स्थित
बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे बैठ कर बुद्ध ने बुद्धत्व की प्राप्ति की।

गौतम बुद्ध के कुछ रोचक तथ्य - Buddha Facts in Hindi

यह बात हम सभी जानते हैं कि गौतम बुद्ध के विचार मानवता के कल्याण के लिए थे। अत्यधिक ज्ञान होने
के कारण उन्हें महात्मा यानी महान आत्मा माना जाता है। आइये जानते हैं बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम
बुद्ध के बारे में कुछ रोचक तथ्य।
इतिहास में नजर डालें तो मात्र 29 वर्ष की आयु में ज्ञान की तलाश में गौटम बुद्ध ने अपने घर का त्याग कर
दिया था और ज्ञान की तलाश में निकल पड़ें थे। जिसे बौद्ध धर्म ग्रंथों में महाभिनिष्क्रमण कहा गया है।
जब गौतम बुद्ध 35 वर्ष के हुए तो उन्होंने गया के पास निरंजना नदी के किनारे एक पीपल के पेड़ के नीचे
ज्ञान प्राप्त हुआ। तब से वह सिद्धार्थ बुद्ध कहलाए।
बौद्ध ग्रंथों में ज्ञान प्राप्ति को निर्वाण कहा गया है। निर्वाण के बारे में आपको गहनता से बौद्ध के विचारों
और ग्रंथों में जानने को मिलेगा।

पहली बार बुद्ध ने अपने संदेश वाराणसी के पांच साधुओं को दिया, जिसे बौद्ध धर्म में धर्मचक्रप्रवर्तन के
नाम से जाना गया है।
अस्सी वर्ष की आयु में बुद्ध का देहावसान उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में हुआ।
साधारण भाषा में बौद्ध धर्म में मुख्यत चार सत्य बताये गए हैं, इन्हें आर्य सत्य कहा जाता हैं जिनमें दुःख, दुःख
समुदाय, दुःख निरोध और दुःख निरोध-गामिनी-प्रतिपदा(दुःख निवारक मार्ग) यानी अष्टांगिक मार्ग शामिल
है।
महात्मा बुद्ध के प्रधान शिष्यों का नाम था उपालि और आनंद थे।
बुद्ध ने सदैव भगवान में विश्वास से ज्यादा मनुष्यों को आपसी गरिमा पर विश्वास करने का बल दिया।
बौद्ध धर्म में माध्यम मार्ग के बारे में बताया गया है जिसके अनुसार दुख को हरने वाले आर्य के आष्टांगिक
मार्ग के आठ अंग हैं। अष्टांगिक मार्ग को भिक्षुओं का कल्याण मित्र भी कहा गया है।

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