
भद्रासन: सिर्फ आसन नहीं, शरीर, मन और आत्मा के संतुलन का साधन
नई दिल्ली । योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा के
संतुलन का साधन है। रोजाना योगासन हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता
है। ऐसा ही एक योगासन है, भद्रासन।
इसके नियमित अभ्यास से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है, बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है और तनाव कम होता है।
भद्रासन
एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है भद्र, जिसका अर्थ है शुभ, और आसन, यानी बैठने की मुद्रा। यह आसन शरीर को आंतरिक मजबूती देता है। यह
शरीर की मांसपेशियों को मजबूती देता है। साथ ही, यह जांघ, घुटने और कूल्हों
की मांसपेशियों को ताकत प्रदान करता है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर में
लचीलापन बढ़ता है। यह पीठ और कमर की मांसपेशियों को भी मजबूती प्रदान करता
है, जिससे शरीर स्वस्थ और स्थिर रहता है।
इसको करने के लिए सबसे पहले आप
एक योगा मेट पर पालथी मारकर बैठ जाएं। पैर का फर्श से अच्छी तरह से संपर्क
होना चाहिए। इसके बाद धीरे-धीरे पैरों को बाहर की ओर फैलाएं और तलवों को
एक-दूसरे के समान पर लाएं। पैरों के तलवे को आपस में मिलाएं। इसके बाद,
अपने दोनों हाथों से पैरों को पकड़ लें। रीढ़ को सीधा रखें और कंधों को
आराम दें। सिर को सीधा रखें और सामने की ओर देखें। अब गहरी और धीमी सांस
लें। सांस लेते समय रीढ़ को और सीधा करें और सांस छोड़ते समय शरीर को ढीला
छोड़ें। इस आसन में 2-5 मिनट तक रहें, अपनी क्षमता के अनुसार। धीरे-धीरे
समय बढ़ाएं।
आयुष मंत्रालय के अनुसार, इसको करने से पाचन तंत्र बेहतर
होता है और कब्ज जैसी शारीरिक समस्या भी कम होती है। साथ ही, भोजन अच्छे से
पचता है और दिमाग तेज रहता है। सिरदर्द, कमर दर्द, अनिद्रा जैसी समस्याओं
से निजात मिलती है।
भद्रासन महिलाओं से लेकर हर उम्र के लोग कर सकते
हैं, लेकिन योग विशेषज्ञ कुछ सावधानियां भी बरतने की सलाह देते हैं। वहीं,
घुटने या कूल्हों में गंभीर दर्द हो तो डॉक्टर की सलाह लें। शुरुआत में
ज्यादा जोर नहीं देना चाहिए और अभ्यास का समय धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए।
--आईएएनएस
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