
एक छोटे से Thank you के बडे-बडे लाभ
व्यवहारिकता के धरातल पर ऐसी सोच सही है, लेकिन मानवता के
दृष्टिकोण से सोचा जाए तो पारिश्रमिक तो आपनेउसके काम का दिया, लेकिन
निष्ठा का मोल क्या पैसे से चुकाया जा सकता है! रिश्तेदार और दोस्त तो बाद
में पहुंचते हैं, बुरे वक्त में सिर्फ सेवक ही काम आते हैं।






