बाथरूम डेकोर के  न्यू ट्रेंड्स

बाथरूम डेकोर के न्यू ट्रेंड्स

घर में एक बाथरूम ही वो इकलौती जगह होती है, जहां पर हम निहायत निजी पल बिताते हैं। तो क्यों ना इस स्पेशल जगह को और भी खूबसूरत बाथरूम डेकोर के न्यू टेंरड्स हैं।
छोटा बाथरूम
बाथरूम में सिंक या बेसिन ना लगवाएं, इससे जगह बचेगी। बाथरूम के उपरोक्त यूनिट्स समानांतर हॉरिजॉन्टल लाइन में लगाए। इससे बाथरूम बडा दिखता है। छोटी-छोटी टाइल्स लगाने से भी जगह बडी दिखती है। बाथरूम की जगह बाथ शावर लगवाएं। फ्लोर से सीलिंग कलर, टेक्सचर और पैटर्न का इस तरह प्रयोग करत हैं कि कोई भी जगह छोटी या बडी दिखती है। अत: चाहें तो प्रोफेशनल्स की मदद ले सकती हैं।
बेसिन
सिंक, बेसिन, बाउल्स या काउंटर टॉप्स बाथरूम की खास जरूरत होते हैं इसलिए इनका आकर्षक होना बहुत जरूरी है। यदि फैमिल बाथरूम है और लगातार उपयोग में आता है तो इस पर टूथपेस्ट, कॉस्मेटिक्स, नेलपॉलिश रिमूवर या अन्य चीजों के दाग लगते रहेंगे और इसकी नियमित सफाई की भी जरूरत होगी। अत: फैमिली के साइज को ध्यान में रखकर वेसिन/बाउल्स चुनें। इन दिनों मार्केट में अलग-अलग रंग औरडिजाइन के ग्लेज्ड, कास्ट आयरन, कल्चर्ड स्टोन आदि से बने बेसिन/सिंक देखने को मिल रहे हैं, फिर भी पारंपरिक सफे द रंग आज भी काफी पसंद किया जाता है।
लाइटिंग
बेहतरीन बाथरूम लाइटिंग प्लान वह है जिसमें प्राइवेसी से समझौता किए बिना ज्यादा सूर्यप्रकाश अन्दर आ सके। बाथरूम में सभी तरह की लाइट्स में डिनर कंट्रोल अवश्य लगवाएं, ताकि जब चाहें तब रोशनी को तेज या मद्धिम किया जा सके। सूर्यप्रकाश के अिलावा भी उजाले के लिए आर्टिफिशियल सोर्स की जरूरत होती है, इसके लिए टास्क लाइटिंग, एसेंट लाइटिंग और नाइट लाइटिंग मिलकर बाथरूम उपयोग करने वाले व्यक्ति के मूड पर सकारात्मक असर डालती है।
बाथटब
बाथटब अमूमन 200 लीटर से लेकर 1000 लीटर तक की कैपिसिटी में मिलते हैं, अत: अपने बाथरूम के साइज के हिसाब से बाथटब चुनें। बाथटब में सिंगल स्पीड पंप की जगह मल्टी स्पीड पंप का ऑप्शन चुनें। फाइवर ग्लास बाथटब कम कीमत में मिल जाते हैं, लेकिन इनकी बजाय वालिटी में बेहतर एक्रेलिक बाथटब चुनें। ये दिखने में ज्यादा अच्छे और टिकाऊ होते हैं। इनका कलर भी फीका नहीं पडता।
टॉयलेट
आजकल विशेष प्रकार के टॉयलेट आने लगे हैं जो आपे आप ऊपर उठ जाते हैं और कार्य के बाद नीचे हो जाते हैं। इससे बुजुर्ग और अपंग लोगों को काफी सुविधा मिल जाती है। आजकल ऑटोमेटिक फ्लशन आने लगे हैं, जिनमें टॉयलेट को फ्लश करने की जरूरत नहीं पडती। उपयोग कर्ता के टॉयलेट से उठने के बाद वे स्वयंचलित रूप से फ्लश हो जाते हैं। कई मॉडर्न टॉयलेट्स में स्पे्र सिरस्टम होता है, जिसमें एक नोजल लगा होता है जो पीछे की ओर यानी व्यक्ति के पेल्विक भाग की ओर होता है। इससे निकलने वाले पानी के फब्बारे से अपने आप क्लीनिंग हो जाती है।