गुलजार की हसीन नज्में पेश हैं...

गुलजार की हसीन नज्में पेश हैं...

बॉलीवुड के गुलजार साहब की जितनी ताकत कलम है उतना ही रूमानियत मिजाज...गालिब अगर उर्दू के चांद है तो गुलजार हिन्दी सिनेमा के नायाब हीरे...गुलजार साहब ने अपनी बेहतरी शायरी और लेखनी से हर दिल पर दस्तक दी है। आज भले ही भाषा के जादूगर गुलजार साहब 82 साल के हो गये हैं लेकिन उनकी शख्यित पर उम्र का पहरा नहीं और ना ही मिजाज में कोई ठहराव है तभी तो वह आज भी हर जवां दिल की धडकन हैं और अपने दिल की हर एक खता को यह कहकर माफ कर देते हैं कि यार दिल तो बच्चा है...
गुलजार नाम से प्रसिद्ध सम्पूर्ण सिंह कालरा जन्म 18 अगस्त 1936 को हुआ था। हिन्दी फिल्मों के एक मशहूर गीतकार हैं। इसके अलावा वे एक कवि, पटकथा लेखक, फिल्म निर्देशक तथा नाटककार हैं। उनकी रचनाएं मुख्यत: हिन्दी, उर्दू तथा पंजाबी में हैं। ब्रज भाषा, खडी बोली, मारवाडी और हरियाणवी में भी इन्होंने रचनाये की। गुलजार के साल 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और 2004 में भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। साल 2009 में डैनी बॉयल निर्देशित फिल्म स्लम्डाग मिलियनेयर में उनके द्वारा लिखे गीत जय हो के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑक्सर पुरस्कार मिल चुका है। इसी गीत के लिये उन्हें ग्रैमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।








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